प्रत्येक संकट तुम्हें सजग करता है कि सबकुछ अस्थायी है

बैंगलोर आश्रम, भारत

प्रश्न : गुरु जी, आजकल बहुत पति - पत्नि अलग हो रहे हैं । ऐसा क्यों है?

श्री श्री : जब लोग अपने निजी तनाव और नकारात्मक भावों के साथ समझौता नहीं कर पाते, वे अपने सबसे नज़दीकी लोगों पर आरोप लगाते हैं, साधारणतः पति या पत्नी। यदि एक का मन शांत है और भाव संयत है, तो वहाँ प्रेम और समझ हो सकती है,जो किसी भी वैवाहिक सम्बन्ध के लिए ज़रूरी है।

प्रश्न : समर्पण के साथ तृष्णा (चाह) का संतुलन कैसे करें?

श्री श्री : चाह स्वतः उत्पन्न हो जाती है। इस पर आपका कोई नियंत्रण नहीं है। यह आपकी आज्ञा नहीं लेती। इसे किसी प्रवेश-पत्र की आवश्यकता नहीं होती। तो, बस कहो, जैसा ईश्वर चाहे वैसा हो जाए।

प्रश्न : क्षेत्रों को ब्लेस कैसे करें (आशीर्वाद कैसे दें)जैसे-महामारी से प्रभावित क्षेत्र?

श्री श्री : प्रत्येक क्षेत्र ब्लेस्ड (आशीष-प्राप्त) है। प्रत्येक क्षेत्र ईश्वर का है।

प्रश्न : गुरु जी, महामारी से पीड़ित लोगों से हम क्या कहें?

श्री श्री : उनसे कहो कि वे अपनी सारी चिंताएं मुझे सौंप दें। देवी-आपदा और महामारी में भी कुछ अच्छा निहित है। वे लोगों को एक-साथ लाती है। प्रत्येक विनाश के बाद नव-निर्माण होता है। कुछ भी स्थाई नहीं है। प्रत्येक
संकट में एक अवसर है। प्रत्येक संकट तुम्हें मुस्कराने की याद दिलाता है, सबकुछ अस्थायी है - इसके प्रति सजग करता है।
तो बैठने और दोषारोपण के बजाय देखो कि हम कैसे आगे बढ़ सकते हैं, पुनर्निर्माण तथा दूसरों की सहायता कर सकते हैं।

प्रश्न : गुरु जी, ॐ नमः शिवाय का क्या अर्थ है? मंत्रोच्चारण से क्या होता है?

श्री श्री :ॐ जीवनी-शक्ति है। ध्वनि ऊर्जा है। जब पूरे दिल से ध्वनि की जाती है, तो इसका बहुत सकारात्मक प्रभाव होता है। नमः शिवाय में पांच तत्त्व हैं – न - मः – शि - वा – य : पृथ्वी, अग्नि, वायु, जल और आकाश।

प्रश्न : गुरु जी, आप हमेशा इतने लोगों से घिरे रहते हो, आप अपनी शक्तियों को कैसे संतुलित रखते हो?

श्री श्री : वे स्वयं संतुलित होती हैं ! जो मेरी प्रकृति में नहीं है, मैं वैसा कुछ नहीं करता। जैसे हवा चलती रहती है, कभी थकती नहीं क्योंकि यह उसकी प्रकृति है।


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