२७.०३.२०१२,
बैंगलुरु आश्रम
प्रश्न : हम सब आप के हैं पर हर
व्यक्ति सोचता है आप उनसे संपर्क में हैं और उनसे बात कर रहे हैं| यह करने के लिए आप कौनसा दूर संचार माध्यम प्रयोग
करते हैं?
श्री श्री रविशंकर : हाँ! एक ही सूर्य है पर वह
हर खिड़की से पूर्ण रूप से अंदर आता है|
प्रश्न : जुआ खेलने के क्या परिणाम
होते हैं और ये हमारे मन पर क्या असर करता है?
श्री श्री रविशंकर : हमें महाभारत के युद्ध से
सबक सीखना चाहिए|
प्रश्न : गुरूजी, हर आकार शक्ति है
और हर निराकार शिव है| फिर सांस का चित्रण क्या है?
श्री श्री रविशंकर : यह शिव और शक्ति, दोनों का
मेल है| सांस दोनों को जोड़ती हैं|
प्रश्न : मैं आप के साथ होने के लिए आपका बहुत आभारी हूँ| कृपया यह बतायें आपने मुझे कैसे चुना?
श्री श्री रविशंकर : क्योंकि आप मूल्यवान है|
प्रश्न : गुरूजी, कृपया बताएं हिंदुस्तान
और पाकिस्तान के रिश्ते को कैसे मज़बूत बनाएँ| एक युवक होते हुए मुझे क्या करना
चाहिए? मुझे लगता है स्पर्धा केवल क्रिकेट तक सीमित रहनी चाहिए|
श्री श्री रविशंकर : हिंदुस्तान और पाकिस्तान
की दोस्ती बढ़नी चाहिए| दोनों देशों के ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को आपस में मिलना चाहिए और दोनों
देशों को सहनशीलता बढ़ानी चाहिए| तब रिश्ते सुधरेंगे|
प्रश्न : प्रभु का नाम जपने पर भी मन प्रसन्न और संतुष्ट
नहीं है| क्या करें?
श्री श्री रविशंकर : इसी लिए आर्ट ऑफ लिविंग
कोर्स है| जब आप सुदर्शन क्रिया करोगे तो पहली बार में ही आप इतना संतोष क अनुभव करेंगे
और मन बहुत शांत हों जायेगा| इसका अनुभव करिये|
इसीलिए पाकिस्तान
में हज़ारों मुस्लिम लोगों ने यह कोर्स किया है और फिर मुझे वहां बुलाया| क्यों? क्योंकि उन्होंने सुदर्शन क्रिया की और
पाने को एकजुट महसूस किया| वे अच्छा महसूस करने लगे, पूर्णता का अनुभव करने लगे और उनके जीवन में बदलाव
आया| इस लिए, आप भी सुदर्शन क्रिया करे|
प्रश्न : गुरूजी, जप माला क क्या महत्व है?
श्री श्री रविशंकर : जब कोई किसी से प्रेम करता है; वो कितनी बार उनका
नाम लेते रहते हैं| वो हर जगह उनका नाम लिखते है, पत्थरों पर, दीवारों पर; क्या आपने ये देखा है?
मैं इस लड़के को जानता हूँ जिसको इस लड़की से प्रेम हो गया और उसने कमरे में चारों
तरफ उस लड़की क नाम लिख दिया| क्यों? ये जप है|
जब कोई किसी को पत्र
लिखते हैं तो वे कितनी बार लिखते हैं “आई लव यू”| क्यों? उन्हें बस एक बार लिखना चाहिए था, उतना
काफ़ी था| पर नहीं, मन उसे दोहराना चाहता है; उसी तरह, अगर आप इश्वर से प्रेम करते
हों और ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय कहते हो और उसे दोहराते रहते हों|
प्रश्न : प्रिय गुरूजी, क्या आप सात
चक्रों और पंचमहाभूत का उन सब पर असर के बारे में कुछ कह सकते हैं?
श्री श्री रविशंकर : पंचमहाभूत का असर हर चक्र
पर होता है| पेट अग्नि तत्व से जुड़ा है, स्वाधिष्ठान चक्र जल तत्व से जुड़ा है| दिल वायु तत्व से जुड़ा है, गला आकाश तत्व से और
मूलाधार चक्र धरती से|
प्रश्न : प्रिय गुरूजी, मैंने आपको
कहते सुना है कि हमें अपनी नवीनता दिखानी चाहिए| मैंने कुछ कामों की सूची बनायी पर
देखा कि वो सब किसी न किसी की नक़ल हैं| मैं अपने कामों तो एक दम नवीन कैसे बनाऊं?
श्री श्री रविशंकर : बस मन को शांत रखो और सहज
रहो| गहरे ध्यान में जाओ| ध्यान नवीन विचारों का स्रोत है|
प्रश्न : जो लोग धार्मिक होते हैं
और धर्म का पालन करते हैं तो उनके साथ बुरा क्यों होता है?
श्री श्री रविशंकर : कभी कभी ऐसा होता है, पर
कुछ समय के लिए धैर्य रखो| सब ठीक होगा और आप जीवन में आगे बढ़ेंगे|
प्रश्न : गुरूजी, बहुत बार भलाई की कदर नहीं होती और दुष्टता
को दंड नहीं मिलता| क्यों?
श्री श्री रविशंकर : ऐसा आभास होता है कि बुराई
को दंड नहीं मिलता या भलाई का कोई फल नहीं मिलता| ऐसा केवल लगता है, पर सच नहीं होता| दीर्घकाल में भलाई को सदैव सराहा जायेगा और बुराई
को हमेशा सज़ा मिलेगी|
प्रश्न : मेरे परिवार में किसी की
मृत्यु होने वाली है| जीवन के इस समय में वे क्या कर सकते हैं?
श्री श्री रविशंकर : आप उनके लिए मंत्र जाप करो
और कामनाएं दो|
प्रश्न :गुरूजी, मुझे लगता है कि
मैं हमेशा सबसे पहचान पाना चाहता हूँ| इसे कैसे छोडूं?
श्री श्री रविशंकर : पहला कदम है कि आपने यह
जान लिया है कि आप सबसे पहचान मांग रहे हैं| दूसरा कदम है कि यह अपने आप चला
जायेगा| यह अपने आप होगा|
प्रश्न : आपके होते हुए भी कला जादू
क्यों प्रचलित है? कृपया इस से मुक्ति दिलाइए|
श्री श्री रविशंकर : आप सब ॐ नमः शिवाय का जाप
करो| फिर कोई कला जादू आप पर असरनहीं करेगा| चिंता मत करो, सब ठीक हों जायेगा|
प्रश्न : गुरूजी, कहा गया है कि इस
मार्च से “खुशियों का वर्ष” शुरू हों गया है और अब सब अच्छा ही अच्छा होगा| कृपया इस के बारे में कुछ बताएं|
श्री श्री रविशंकर : हाँ| समय के हर क्षण में कुछ अच्छा होता है और कुछ इतना
अच्छा नहीं भी होता है| कभी भी केवल बुरा समय नहीं रहा|
समय का हम पर अवश्य
असर होता है और यह साल अच्छा होना चाहिए| इसलिए, खुशी और सुख के साथ सेवा, साधना, और सत्संग
करिये और जीवन में आगे बढ़िए|
प्रश्न : गुरूजी, जब मोहम्मद गज़नी
ने गुजरात में सोमनाथ के मंदिर पर हमला किया था, तब मंदिर के पंडित नें सबको कहा
था कि भगवान शिव हमारी सहायता करेंगे और युद्ध की आवश्यकता नहीं है| सब सैनिकों ने
हथियार डाल दिए पर फिर भी वे हार गए| तो परम भगवान कौन है?
श्री श्री रविशंकर : देखो, जो उन्होंने किया वो
सही नहीं था| शिव है, पर वो सबको अपना धर्म पालन करने को, अन्याय से लड़ने के लिए कहते हैं|
नहीं तो स्वयं शिव
के हाथ में त्रिशूल क्यों होता है? आपने देखा है, सब देवी देवताओं के हाथ में
शस्त्र होते हैं| उनके पास शस्त्र क्यों होते हैं? क्योंकि निश्चय और कर्म दोनों साथ साथ चलने
चाहियें| भगवान कृष्ण ज्ञान भी दे रहे थे और साथ ही उनके हाथ में सुदर्शन चक्र भी
था| भगवान परम ही है क्योंकि केवल एक ही भगवान है| यही मुझसे पाकिस्तान में भी लोगों ने पूछा था, कि
भगवान के इतने रूपों को क्यों पूजा जाता है? मैंने कहा भारत में भी हम एक ही भगवान को मानते
हैं पर वह भगवान भिन्न रूपों में और आकार से पूजा जाता है|
एक ही भगवान है, जो
अलग अलग वेशभूषा में सामने आता है| भगवान सेना में नहीं है; सेना में सब हमेशा एक ही
वर्दी पहनते हैं| हमारे भगवान सब नाम और रूप में आते हैं| पर ये सब एक ही ईश्वर हैं| तो केवल एक रूप, एक शिवलिंग या एक शालिग्राम ही
बहुत है| आपके मंदिरों में आप इतनी सारी मूर्तियां नहीं रखते क्योंकि ये एक ही भगवान
के चिन्ह हैं|
हिंदू प्रथा में
केवल कलश और अग्नि की पूजा की जाती थी| पर जब जैन धर्म आया, और उन्होंने मूर्तियां रखीं
और इतने सुन्दर ढंग से उनकी पूजा की, कि हिंदू लोगों ने सोचा उन्हें भी कुछ करना
चाहिए| तब हिंदुओं ने विभिन्न मूर्तियां बनायीं| उसके पहले केवल शिवलिंग था, बस|
प्रश्न : मैं भगवान और संसार के बीच में अटका हूँ| कैसे संसार से परे हट कर भगवान को पाऊँ?
श्री श्री रविशंकर : भगवान आपसे दूर नहीं है| आपको बस मन शांत करने की आवश्यकता है| शान्ति में ही भगवान है| समर्पण करके विश्राम करो| जब हम विश्राम करना जानते हैं, कार्य से पहले और उसके
बाद, तो व्यक्ति गहन ध्यान में जाता है और तब भगवान से संपर्क स्थापित होता है|
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