प्रश्न : जप का क्या
महत्व है?
श्री श्री
रविशंकर : जब आप प्रेम में होते हैं, तो आप उस नाम
के साथ रहना पंसद करते हैं, जिससे आप
प्रेम करते हैं, आपको कहने
में, लिखने में और स्वयं
को उस नाम के साथ बार बार जोड़ने में आनंद आता है। यह जप के साथ भी होता है। यदि आप
किसी से अधिक प्रेम और प्यार करते हैं तो आप उनका नाम बार-बार लेते हैं। जप में भी
वहीँ होता है। आप उस नाम में डूब जाते हैं।
प्रश्न : अध्यात्म और विज्ञान में क्या अंतर है?
श्री श्री
रविशंकर : अध्यात्म में विज्ञान और ज्ञान है, यह पूँछना कि "यह क्या है", "विज्ञान है", "मैं कौन हूँ", यह पूँछना अध्यात्म
है।
प्रश्न : अध्यात्म के पथ
पर किसी ने क्या इच्छा करनी चाहिये जबकि उसका सार सब कुछ छोड़ देना है?
श्री श्री
रविशंकर : जब आप बस में बैठते हैं किसी यात्रा के
प्रारंभ बिन्दु पर और आप गंतव्य पर पहुँचने पर उसे छोड़ देते हैं। क्या आप घर पहुँचने
पर भी कार में बैठे रहते हैं?
प्रश्न : क्या आध्यात्मिक
व्यक्ति के लिये ब्रहमचर्य अनिवार्य है?
श्री श्री
रविशंकर : ब्रम्हचर्य वह है जो अपने आप हो जाता है।
जब कोई स्वयं में परमानंद को पा लेता है तो भौतिक संबंध की इच्छा समाप्त हो जाती है।
प्रश्न : मंत्र और तंत्र
का क्या महत्व है ?
श्री श्री
रविशंकर : हमारा शरीर करोड़ो अणु से बना हुआ है। और
ध्वनि उर्जा के सिवाय कुछ भी नहीं है। हमारे अणु या तो उर्जा को देते हैं या उसे सोख
लेते हैं। मंत्र का हमारी चेतना पर काफी गहन प्रभाव होता है वे हमें उर्जा देते हैं।
तंत्र प्रदान करने की एक तकनीक है। मंत्र जीवन को बेहतर बनाने के लिये होते है और आप को
अधिक सुख देने के लिये होते हैं।
प्रश्न : यदि तत्व और चेतना
एक हैं तो क्या कोई भौतिकवादी होकर आध्यात्मिक नहीं हो सकता है?
श्री श्री
रविशंकर : भोजन और पेय जल दोनो अणु से बने हैं और
आप को भोजन और जल की आवश्यकता है। आप यह नहीं कर सकते है कि सब कुछ सिर्फ अणु है और
उसमें सिर्फ भोजन या सिर्फ जल है।
प्रश्न : पूजा और कर्म
में क्या अंतर है? भगवान को
कैसे प्राप्त कर सकते हैं?
श्री श्री
रविशंकर : आप जिसमें विश्वास रखते हैं उसे जानना नहीं
चाहेंगे। सब से प्रेम से मिले। सब कुछ को जाने और सब में विश्वास रखे। एक शिशु अपनी
माँ के बारे में जानना नहीं चाहता क्योंकि वह उससे प्रेम करता है। प्रकृति से और हर किसी से प्रेम करें और फिर आपको सब कुछ अपने आप ही मिल जाता है। इसके अलावा वहाँ कुछ
नहीं है।
प्रश्न
: पूजा में
प्रयोग होने वाले पदार्थो के महत्व को समझायें?
श्री श्री
रविशंकर : यह पूरा
ब्रहमांड अणु के मध्य की परस्पर क्रिया है। आप एक रिमोट कंट्रोल को पकड़े और उसका बटन
दबाये तो स्क्रीन बदल कर उस पर कुछ और आ जाता है। यह कैसे होता है? यह सब कुछ
विद्युत चुम्बकीय कंपन से होता है। रेडियों पर आप विभिन्न आवृत्तियों से विभिन्न संगीत
सुनते हैं। उसी तरह से सृष्टि में हर पदार्थ की एक स्पंदन होती है और उसका विकिरण होता
है और उसकी सूक्ष्म उर्जा होती है। और जो पदार्थ पूजा में उपयोग होते है वे आपको सम्पन्न
स्पंदन देते हैं और आपमें शांति और प्रशांति लाते हैं।© The Art of Living Foundation