(आर्ट ऑफ लिविंग और रंजिनी कलाकेन्द्र ने २८ मार्च, २०१२ को पैलेस मैदान, बेंगलुरु में एक ऐतिहासिक कार्यक्रम “वीणा झेन्कारा” का आयोजन किया| आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रवि शंकर, आर्ट ऑफ़ लिविंग के संस्थापक की उपस्थिति में प्रस्तुत इस संगीत कार्यक्रम में पहली बार एक ही मंच पर १११० वीणा कलाकारों ने एक साथ प्रदर्शन किया|)
सह्सारा वीणा झेन्कारा, बंगलौर
वीणा, मानव जाति का सबसे प्राचीन संगीत वाद्य होने के लिए
जानी जाती है| आज भी वीणा से निकला संगीत दुनिया में
प्रतिध्वनित है, यह सामंजस्य प्रज्वलित करता है और मन को एकाग्रता प्रदान करता है| आज १११० कलाकारों ने एक वाद्य-वृंद रचना कर एक असाधारण उपलब्धि हासिल करी है|
वीणा हमारे रीढ़ की
हड्डी कि तरह है, इसमें भी में कशेरुकाओं (चौबीस कशेरुकाओं) की तरह सिर्फ चौबीस २४ पर्दे हैं| यह मानव शरीर
के समान है, जब एक तार गूंजती है, उससे निकली तरंग दिल को छू
लेती है और आत्मा को शांति देती है|
संगीत हर
इंसान का हिस्सा है| जब आप खुश होते हैं, संगीत बहुत ही
स्वाभाविक है, आप स्वाभाविक
रूप से गाते हैं| जब आप दुखी होते हैं, तब भी संगीत अच्छा है क्योंकि यह अपके दिल को आराम देता है, आपके
मन के ज़ख्मों को भर देता है, और आप को उत्साहित करता है| तो चाहे आप खुश हो
या दुखी, आप संगीत से दूर नहीं जा सकते| संगीत मन को शिथिल कर देता है और
वीणा से ऐसे ही संगीत का उत्पादन होता है|
ध्वनि से मौन ही आध्यात्मिकता की यात्रा है|
ध्वनि से मौन ही आध्यात्मिकता की यात्रा है|
ऐसा कहा जाता है: “शब्द ब्राह्मणी निश्नाथा परम ब्रह्मदिगाच्चाती”|
यदि हम शब्द ब्रह्मा से परम ब्रह्मा को जाना चाहते हैं, तो हमे नाद ब्रह्मा कि पूजा करने की जरूरत है| हर किसी को अपने जीवन में इसे अपनाने कि आवश्यकता है| यदि हम थोड़ी देर के लिए संगीत सुने, यह हमें देवत्व, शुद्ध चेतना, की ओर ले जाता है| संगीत, विशेष रूप से शास्त्रीय संगीत, में यह क्षमता है|
यदि हम शब्द ब्रह्मा से परम ब्रह्मा को जाना चाहते हैं, तो हमे नाद ब्रह्मा कि पूजा करने की जरूरत है| हर किसी को अपने जीवन में इसे अपनाने कि आवश्यकता है| यदि हम थोड़ी देर के लिए संगीत सुने, यह हमें देवत्व, शुद्ध चेतना, की ओर ले जाता है| संगीत, विशेष रूप से शास्त्रीय संगीत, में यह क्षमता है|
वीणा दुनिया का सबसे
प्राचीन संगीत वाद्य है और तब से, आज तक, इसे उत्पन्न संगीत वैसा ही आनंद प्रदान करता है|
हमारे साथ आज १११० प्रख्यात वीणा कलाकार हैं| कई प्रसिद्ध वीणा गुरु अपने शिष्यों के साथ, अपने संगीत से, हमे मंत्रमुग्ध करने वाले हैं|
हमारे साथ आज १११० प्रख्यात वीणा कलाकार हैं| कई प्रसिद्ध वीणा गुरु अपने शिष्यों के साथ, अपने संगीत से, हमे मंत्रमुग्ध करने वाले हैं|
(इसके बाद वीणा कलाकारों द्वारा प्रदर्शन आरम्भ हुआ| अंत
में गुरुजी ने कलाकारों को
सम्मानित किया, बधाई दी और उन्हें ३००० कलाकारों के
साथ एक कार्यक्रम आयोजित करने के
लिए प्रोत्साहित किया)
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