३० मार्च २०१२, कुआलालम्पुर, मलेशिया
जीवन को एक विशाल दृष्टिकोण से देखिये| कितने लोगों को यह लगता है कि वह हेमशा यहाँ जीवित रहेंगे?
कितने लोगों को लगता है कि वह यहाँ अगले तीस
साल तक रहेंगे, अपने हाथ उठाये|
कितने लोगों को लगता है कि वह अगले पचास सालो
तक जीवित रहेंगे, अपने हाथ उठाये|और कितने लोग यहाँ अगले सौ सालो तक रहेंगे? हम जीवन
को विशाल दृष्टिकोण से नहीं देखते|
मेरे प्रिय आप हमेशा यहाँ पर नहीं रहने वाले हो, बस यह याद रखिये| मलेशिया रहेगा, कुआलालम्पुर रहेगा, लेकिन आप नहीं रहेंगे| यह यहाँ पर आपसे पहले भी था| आप यहाँ पर अगले तीस से
चालीस साल तक रहेंगे, फिर क्या?
आप कहा रहेंगे? जीवन
क्या है, आप कौन हो? ऐसे सवाल आप के अन्दर उठने चाहिए और जब वह उठते है,
उसका मतलब है कि हमारी बुद्धि परिपक्व हो रही है| क्या
आप मेरे साथ हो? मैं जो कह रहा हूँ, क्या आप सहमत हो?
तो जब हम जीवन को विशाल दृष्टिकोण से देखते हैं, तो छोटी, मामूली चीज़े मिट जाती हैं, सभी
छोटे झगडे, चिंता, उस व्यक्ति ने क्या कहा, इस व्यक्ति ने क्या कहा, सब दूर हो जाता
है|
तो क्या अगर किसी ने आपका अपमान किया, तो क्या!
वह व्यक्ति जिसने आपका अपमान किया वह जयादा समय नहीं रहने वाला| सभी लोग पैक-अप कर जायेंगे, वह पैक-अप भी नहीं कर पाएंगे, वह बस चले
जायेंगे| यहाँ बंधने जैसा कुछ भी नहीं है|
आप के प्रवास के लिए, कम से कम आप को अपना सामान
बांधना पड़ेगा, लेकिन यहाँ आप बस एक दिन अदृश्य हो जायेंगे, बस यह बात है| जीवन के इस अस्थायी चरण को एक विशाल दृष्टिकोण से देखिये| जब आप जीवन को एक बड़े चित्र में देखेंगे, भीतर से कुछ एक बदलाव होगा| आप जाग कर देखेंगे, "अरे, मैं किस लिए इतना चिंतित हूँ?"
पीछे मुड़
के देखिये, दस साल पहले आप चिंतित थे और आप अभी भी यहाँ है| पाँच साल पहले आप किसी चीज़ से चिंतित नहीं थे, आप अभी भी मौजूद है, जिन्दा!
आप ने कितना वक्त धारणा, चिंता और अनुत्पादक विचारों में बर्बाद कर दिया, हाँ या ना?
हाँ, हमे अपने अनुभवों से सीखना चाहिए| कितना समय हम शिकायत करने में बर्बाद कर देते हैं और हमारी सारी प्राण शक्ति सूख जाती है और रोग आ जाते हैं| रक्तचाप,
मधुमेह, कर्क रोग, इत्यादि यह सब अनुत्पादक और नकारात्मक भावनाओं का परिणाम
है| तो हमे यह पूरा चक्र बदलना होगा| हम नकारात्मक महसूस करते है, फिर हम सब कुछ नकारात्मक देखते हैं और फिर हम
उदास हो जाते हैं तब हमे लगता है की कुछ भी सकारात्मक है ही नहीं और इसी तरह आप एक
दुष्चक्र में चले जाते हैं|
आप को इन सब से बाहर निकलना होगा और ध्यान, योग और प्राणायाम, सब यही है; मन का संचालन कैसे करे और आत्मा का उठान कैसे
करे और वास्तव में यह आशीर्वाद स्वरुपी है|
तीन तरह के विश्वास जीवन में जरुरी है, एक है
विश्वास उस अनंत शक्ति में जो इस दुनिया का संचालन
कर रही है| दूसरा है आस पास के लोगों की अच्छाइयों पर विश्वास| दुनिया में अच्छे लोग है,
और यदि आप सोचेंगे की सभी खराब है तो आप भी ख़राब हो जायेंगे| यदि आप सोचेंगे की सभी लोग ठीक ठाक ही है तो आप छोटे हो जाते हैं, आप सिकुड़ जाते हैं और आप भी उनका हिस्सा बन जाते हैं| इस गृह में अच्छे लोग है, और उनकी अच्छाइयों पर भरोसा रखना पड़ेगा|
तीसरा
है, अपने आप पर विश्वास| बहुत
बार लोग अपने आप पर भरोसा नहीं करते और यह एक समस्या है| तो खुद पर भरोसा, लोगों की अच्छाइयों पर भरोसा और उस
अनंत शक्ती पर भरोसा| यह तीन तरह के विश्वास जीवन में जरुरी है| तब आप स्वस्थ रहते हो, अन्यथा आप संविभ्रमी हो| क्या आपने देखा है की सविभ्रम से पीड़ित लोग कैसा व्यवहार करते हैं| वह सभी से डरते हैं और अपने आप को कमरे में ताला लगाकर बांध
कर देते हैं|
यह मानसिक बीमारी है| यदि आप इस मानसिक बिमारी से छुटकारा पाने चाहते
हैं और स्वस्थ रहना चाहते हैं तो फिर इन तीन तरह के विश्वास को जानिये| अब, विश्वास को समझने के लिए, संदेह क्या है यह समझना पड़ेगा|
संदेह सिर्फ उसी पर होता है जो सकारात्मक है, क्या आपने ध्यान दिया है? आप किसी व्यक्ति की इमानदारी पर शक करते हो उसकी बेईमानी पर नहीं| यदि कोई कहता है कि वह व्यक्ति बेईमान है तो आप उसपर विश्वास करते हो, नहीं? हम दुसरे की इमानदारी पर शक करते हैं| यदि कोई आपसे कहता है की "मैं तुम्हे बहुत चाहता हूँ" तो आप पूछते हो, "क्या सच में?" यदि कोई आपसे कहता है कि मैं तुमसे नफरत करता हूँ तो आप नहीं पूछते "क्या सच में?" आप मान लेते हो की वह व्यक्ति आपसे नफरत करता है| तो शक हमेशा प्रेम पर ही होता है| यदि कोई आप से पूछता है की क्या आप खुश हो, आप कहते
हो, "मैं यकीन के साथ नहीं कह सकता", लेकिन यदि कोई आपसे कहता है कि
"आप दुखी लग रहे हो", आप कभी अपने उदासी पर शक नहीं करते, पर आप अपनी ख़ुशी
पर संदेह करते हैं|
जब आप दुखी होते हो तो आप निसंदेह उदास हो लेकिन
जब आप खुश होते हो तब आप उस पर आप संदेह करते हैं| हमारा संदेह सकारात्मक बातों के लिए ही होता है| हम लोगों की अच्छाइयों पर संदेह करते हैं, हम
अपनी क्षमातायों पर शक करते हैं,
पर हम अपनी कमजोरीयों पर कभी शक नहीं करते| आप अपनी क्षमातायों के बारे में निश्चित नहीं है लेकिन आप अपनी कमजोरियों के
लिए निश्चित है| हम इसे बदलना होगा| कितने
लोग सहमत है, अपने हाथ उठाये?
मैं आप को बार बार हाथ उठाने के लिए कह रहा हूँ
क्योंकि आम तौर पर अध्यात्मिक प्रवचनों में लोग सो जाते हैं| क्योंकि अध्यात्मिक प्रवचन गुलाब के फूलों के सेज की तरह होते हैं, इतने आरामदायक कि सो जाए|
और फ़िल्म देखते वक्त आप नहीं सोते क्योंकि वह
काटों की सेज की तरह होते हैं,
आप को जगा देते हैं, खासकर
जब की कोई अपराध वाली फ़िल्म होती है तो आप कभी नहीं सो सकते|
यदि आप किसी हिंदू मंदिर में जाए, तो नारियल
हमेशा रखते हैं| क्या आप जानते हो वह क्यों? नारियल
जीवात्मा का प्रतिक है|
वह एक सदमा अवशोषक है और ऐसा ही होना चाहिए हमे
जीवन में, सदमा अवशोषक| एक
नारियल इतनी उचाईयों से गिरता है लेकिन वह टूटता नहीं है क्यूंकि वह सदमा अवशोषक है| हमारा व्यवहार सदमा अवशोषक की तरह होना चाहिए समाज में, जिससे कोई हमारे मन
या भावनाओ को चोट ना पंहुचा सके|
हमारा शरीर नारियल के छिलके की तरह सख्त होना
चाहिए और हमारा मन अन्दर के गर की तरह होना चाहिए, नरम और शुद्ध श्वेत और मीठे पानी
की तरह अन्दर की भावनाएं|
तो इसिलए नारियल को मंदिर के अन्दर तोडा जाता
है और रखा जाता है यह दर्शाने के लिए, "हे ईश्वर मेरा जीवन नारियल की तरह हो,
शरीर मजबूत और मन मुलायम, शुद्ध और स्पष्ट|"
यदि यह दूसरी ओर होता, शरीर कमजोर और मन पत्थर
के जैसे सख्त तो आप मुसीबत में आ जाते हैं| यह
आज की समस्या है| हमारा मस्तिष्क ठंडा, पैर गर्म और पेट मुलायम/हल्का
होना चाहिए, यह अच्छे स्वस्थ शरीर का रहस्य है| यदि
आपका पेट सख्त है तो आपकी पाचन शक्ति में कुछ गड़बड़ है, आपकी अंतड़िया ठीक से काम नहीं कर रही| तो पेट मुलायम होना चाहिए और पैर गर्म होना चाहिए| यदि
यह दूसरी तरह है, ठन्डे पैर, गर्म मस्तिष्क और कड़क पेट तो आप बीमार हो| यह बीमार व्यक्ती की निशानी है|
स्वस्थ की निशानी है गर्म पैर, मुलायम पेट, ठंडा
मस्तिष्क और स्नेह भरा ह्रदय|
जो हम कमाते है उसमे से थोडा हमें दान देना चाहिए| केवल ३ प्रतिशत जो हम कमाते हैं| हम
१००% जो कमाते हैं हम अपने आप पर कर्च नहीं कर सकते| हमे थोड़ा बहुत सामजिक दान देना चाहिए, गरीब बच्चों के लिए या गरीब लोगों के लिए जिनको जरुरत
हैं|
दान से द्रव्य शुद्ध होता है| सेवा से हमारे कार्य शुद्ध होते है| संगीत
से हमारी भावनाएं शुद्ध होती है और ज्ञान से हमारी बुद्धि शुद्ध होती है| "यह जीवन क्या है?" यह ज्ञान बुद्धि को शुद्ध करता है| योग, प्राणायाम और व्यायाम से शरीर शुद्ध होता है|
प्रश्न : मेरा पति बेवफा है, क्या करू?
श्री श्री रविशंकर : मुझे इसका कोई अनुभव नहीं
है| लेकिन फिर भी में कुछ कहूँगा, पति अन्य लोगों की तरफ
आकर्षित हो सकता है लेकिन उनका प्यार आप के लिए अधिक होगा अगर आप उसे विशाल दृष्टिकोण
से समजते हैं| यदि आपका का मन विशाल है और यदि आप दो तीन बार माफ़
करने के बाद चौथी बार यदि आप सख्त होते हैं, तो
वह समझ जायेगा| आप को पहली बार में ही सख्त नहीं होना चाहिए| तीन बार माफ़ कीजिये लेकिन चौथी बार सख्त हो चाहिए|
रिश्तों के बारे में रहस्य है, क्या आपको जानना
है?
महिलायों के लिए रहस्य है कि आपको अपने पति की
हमेशा प्रशंसा करनी चाहिए|
उसे कभी नीचा न दिखाइए| उसका अहम् बढाइये|
पूरी दुनिया यह कहे की आपका पति में दिमाग नहीं
है, लेकिन आप को यह नहीं कहना चाहिए| आपको कहना चाहिए, "आपके पास बहुत दिमाग है, सिर्फ आप उसे इस्तेमाल नहीं करते|"
यदि आप पुरुष के अहम् को ठेस पहुचाते हो तो वह
जड़ हो जाता है| कभी न कहिये, "आप जड़ हो, आप किसी काम के नहीं
हो|" "आप को कहना चाहिए की आप पूर्ण/आदर्श व्यक्ति
है", और उसका हौसला बढ़ाना चाहिए, बहुत प्रशंसा करे और उसका अहम् बढाइये, ठीक है!
पुरुष के लिए यह रहस्य है की कभी भी आपकी पत्नी
के भावनाओं को ठेस न पहुचाएं|
यदि वह अपने भाई, पिता या माता की शिकायत करे,
आप उसकी गाडी में सवार ना हो जाए, आप शांत रहिये| यदि
आप उसके परिवार की शिकायत करते हैं,
तो वह बर्दाश्त नहीं कर सकती| वह शिकायत कर सकती है, लेकिन आपको अपना मुह बंद रखना चाहिए, तो आपके घर में
शांति रहेगी| और यदि उसे खरीदारी करने जाना है, उसे ना मत कहिये,
अपना क्रेडिट कार्ड दे दीजिये|
धार्मिक और खरीदारी के लिए आपको उसे कभी नहीं
रोकना चाहिए| अध्यात्मिक होने से परिवार के प्रति हमारी जिम्मेदारियां
निभाने में हमारी मदत करती है|
कितने लोगों ने इसका अनुभव किया है? देखिये,
यदि आपका मानसिक स्वस्थ्य अच्छा है और यदि आप मजबूत और बुद्धिमान महसूस करते हैं, तो आप सभी को खुश रख सकते हैं|
प्रश्न : मुझे सोने में परेशानी हो रही है|
श्री श्री रविशंकर : आपको आयुर्वेदिक उपचार करना
चाहिए| आयुर्वेद में शंखपुष्पी काडा काड़ा है जो आपको अच्छी नींद
मिलने में मदत करेगा| और योग और प्राणायाम भी मदत करेगा| आपको प्राणायाम रात्रि में सोने से पहले करना चाहिए, उससे आपको को सोने में
मदत मिलेगी| उसी तरह कुछ चीनी जड़ी बूटियां और आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां
है जिनका उपयोग शरीर को, अंतड़ी और पेट को साफ़ करने में होता है| कभी कभी आपको इन जड़ी बूटियों का सेवन करना चाहिए| त्रिफला
एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जो लीवर और अंतड़ियों को साफ़ करता है| हफ्ते में एक बार इन जड़ी बूटियों का सेवन करना अच्छा हैं| और योग और प्राणायाम का नियमित अभ्यास शरीर को बेहतर बनता है|
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