हर एक बुरे व्यक्ति के अन्दर एक अच्छा व्यक्ति छुपा होता है!!!


१६
२०१२ बुल्गारिया
मई
हम सब तकनीकी युग में रह रहे हैं| तकनीक ने ब्रह्माण्ड को एक गाँव में बदल दिया है| हम सब एक सार्वभौमिक गाँव में रहते हैं| मैं इसे एक सार्वभौमिक परिवार के जैसे देखना चाहता हूँ| इस संसार को एक सार्वभौमिक परिवार के जैसे देखना चाहता हूँ| हम सब बहुत भाग्यशाली हैं कि इस संसार में अनेक संस्कृति, परम्पराएं, भाषाएँ एवं धर्म हैं| आप जानते हो कि बुद्धिमान व्यक्ति क्या करते हैं? वो हमेशा विविधता और विभिन्नता को एक उत्सव के जैसे मनाते हैं और नासमझ लड़ाई, झगड़ा करते हैं| हम इस संसार में क्या करना चाहते हैं, लोगो को शिक्षित करना चाहते हैं| क्या वजह है कि लोग इतने अनभिज्ञ और अज्ञानी हैं क्योंकि उन्हें अपनी दृष्टि को विस्तृत करने का कभी कोई अवसर ही नहीं मिला| आर्ट ऑफ़ लिविंग का मकसद जीवन को ऐसी ही विशाल दृष्टि देना है, हर आंसू को मुस्कान में बदलना, क्रोध को करुणा में बदलना और नफरत को असीमित प्यार में बदलना| आइये हम सब एक ऐसा विश्व बनाने के लिए हाथ मिलाएं जो हिंसा, बीमारी, दुःख और गरीबी से दूर हो!
सबसे पहले हमें बड़ा सपना देखना होगा| जब मैं स्कूल में था, एक छोटा बच्चा, मैं अब भी एक छोड़ा बच्चा ही हूँ, मैं अपने दोस्तों से कहा करता था कि मेरा परिवार समस्त पृथ्वी है| वो सब मेरी माँ के पास जाते थे और पूछते थे कि क्या हमारा परिवार लंदन, जर्मनी, फ़्रांस, अमरीका में भी है? और मेरी माँ जवाब देती थी, "नहीं", वो मेरे कान खींचती थीं और कहतीं थीं, "तुम झूठ क्यों बोलते हो?" मेरी माँ कहा करती थीं, "ये कभी झूठ नहीं बोलता लेकिन ये एक बात ये हमेशा कहता रहता है कि इसका परिवार और रिश्तेदार सारे संसार में हैं और ये सारी दुनिया के लोगो को जानता है|" मैं मेरे दोस्तों को पूछता था, "तुम क्या चाहते हो? डाक टिकट, सिक्के या मुद्राएं? मैं तुम्हे भेज दूंगा, चिंता मत करो, मेरे पास सब हैं पूरे विश्व में|" मैंने ऐसा क्यों कहा, क्योंकि हम सब के अन्दर के गहन में कहीं एक ही आत्मा है जो हमें जोड़ती है| हर एक मनुष्य, ख़ुशी, उत्साह, प्यार और ज्ञान के साथ पैदा हुआ है, लेकिन जैसे जैसे हम बड़े होते जाते हैं, हम ये सब कहीं कहीं खो देते हैं| हमें ये नहीं खोना चाहिए, ये तोहफा जो मिला है इसको बना कर, संभाल के रखना चाहिए|
अच्छा, मान लो कि हमने इसको खो दिया, फिर क्या? हमें इसे फिर से पा लेना चाहिए| अब आप इसको दुबारा कैसे पाएंगे? अपनी दृष्टि को विशाल करके, और जो भी आपके आस पास हैं उनसे आत्मीयता बना के|
मैं बुल्गारिया में दूसरी बार आया हूँ, मुझे पहले के मुकाबले बहुत से बदलाव नज़र आये, मूलभूत व्यवस्थाएं बढ़ी हैं, अर्थव्यवस्था में पहले से बहुत सुधार हुआ है, ये और भी अच्छी हो सकती है, साथ ही साथ मैं कहूँगा कि आप लोगों की हजारों साल पुरानी संस्कृति है, परंपरा है उसको मत खोइये; युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति अपनी परंपरा बना के रखनी है और अपनी दृष्टि विशाल करनी है| यही वजह है कि हम कह रहे हैं कि आज हम एक साथ एक बड़ी बैगपायपर उत्सव का प्रदर्शन करेंगे| इसका मकसद पुराने रीति-रिवाज़ को बढावा देना है| मैं यहाँ ये भी बताना चाहूँगा कि बुल्गारिया के कुछ गायक और नर्तक भारत भी आये थे और उन्होंने वहां अपने इस कौशल का प्रदर्शन किया था| तो हमें लोगों को एक साथ लाना है, ये ज्ञान है, बुद्धिमत्ता है| एक हिंसा मुक्त समाज, बीमारी रहित शरीर, व्याकुलता मुक्त दिमाग, अवरोधन मुक्त बुद्धि, दुःख से मुक्त आत्मा, कटु अनुभवों से मुक्त स्मृति और तनाव मुक्त ज़िन्दगी ये हर एक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है| इसी दिशा में आर्ट ऑफ़ लिविंग के अध्यापक और कार्यकर्ता काम कर रहे हैं| मैं बहुत खुश हूँ और उन्हें बधाई देता हूँ, सैकड़ों की तादाद में कार्यकर्ता दिन रात बिना थके काम कर रहे हैं जिस से लोगो के चेहरे पर मुस्कराहट सके|
तो मैं आपको खुश रहने के तथ्य या रहस्य बताता हूँ|
एक बार एक एक बुद्धिमान व्यक्ति ने एक लाइन खींची और अपने छात्रों से कहा कि बिना मिटाए और बिना छुए इस लाइन को छोटा करके दिखाओ, आपने इसको छुए बिना इसको छोटा करना है, एक समझदार छात्र ने उसके नीचे उस से भी बहुत लम्बी लाइन खींच दी, तो पहले वाली लाइन अपने आप छोटी हो गयी| यहाँ इसका सबक ये है कि जब आपको अपनी परेशानियां बहुत बड़ी लगने लगें तो अपनी आँखें उठा कर देखिये| ऐसा इसलिए है क्योंकि आपने अपना ध्यान सिर्फ खुद पर ही रखा हुआ है| जब आप दूसरों की ओर देखेंगे जिनकी हालत आपसे भी कहीं ज्यादा खराब है तब आपको लगेगा कि आपका बोझ उतना बुरा नहीं जितना आप सोचते हैं| जब आपको लगे कि आपकी समस्या बहुत बड़ी है तब उन्हें देखिये जिनकी समस्या आपसे भी बड़ी है| तभी आपको एक आत्मबल मिलेगा कि मेरी समस्या बहुत छोटी है और मैं उसे संभाल सकता हूँ| तो खुश रहने का पहला नियम ये कि जहाँ बड़ी और ज्यादा समस्या हैं वहां देखिये, तब आपकी समस्या स्वयं ही छोटी लगने लगेगी, ओर जैसी ही आपकी समस्या छोटी लगने लगेगी, आपमें उस से निपटने और उसे सुलझाने का साहस और ऊर्जा जाएगी, साधारण शब्दों में कहें तो उनकी सेवा करें जिन्हें ज्यादा ज़रूरत है|
दूसरा, अपने जीवन की ओर देखें, अब तक आपको कितनी सारी समस्या रही, वो आई और चली गयी; जान लीजिये कि ये भी चली जाएगी और आपके पास ऊर्जा और ताक़त है इस से निपटने की भी| आपको अपने बीते हुए कल के बारे में समझनेसे ये आत्म-विश्वास जायेगा|
तीसरा, सबसे महत्वपूर्ण, कुछ श्वास कि प्रक्रिया और विश्राम करें|
चौथा, आपको पता है कि आप गुस्से में कहते हैं, "मैं छोड़ता हूँ"| बिना किसी गुस्से और झल्लाहट के कहें| "मैं ये समस्या को आप पर छोड़ता हूँ, इसको मैं हल नहीं कर सकता, अब भगवान् को मेरी मदद करने दो", और आप जानते हैं कि ऐसे में हमेशा आपको मदद मिलती है, अपने अन्दर ये विश्वास जगाइये कि आपकी मदद होगी, ब्रह्माण्ड की कोई ताक़त आपकी मदद करेगी|
पाँचवा, जानते हैं, पाँचवा रहस्य क्या है? मैं आप पर छोड़ता हूँ, आप पाँचवे के बारे में सोचिये, मैं २५-३० रहस्य तक जा सकता हूँ, लेकिन मैं चाहता हूँ की ये आप सोचें| हम हमेशा अपनी समस्या के हल के लिए किसी दूसरे की ओर देखते हैं| हम भूल जाते हैं कि अगर हम अपने दिमाग को अन्दर की ओर मोड़ दें तो हमें कुछ तरीका, कुछ रास्ता मिल सकता है, यही पाँचवा रहस्य है; स्वाभाविकता| स्वाभाविक रहिये, स्वाभाविकता आपके अन्दर आती है जब आप कुछ मिनट निकाल कर अपने अन्दर बैठते हैं| जब सब कुछ सही है, सब आपके हिसाब से चल रहा है तब मुस्कुराते रहने में कोई बड़ी बात नहीं लेकिन जब आप अपने अन्दर शौर्य जगा लेते हैं और कहते हैं "चाहे कुछ भी हो जाये, मैं मुस्कुराता रहूँगा", आप देखिये कि तुरंत आपके अन्दर एक ऊर्जा का संचार होने लगता है और समस्याएं ऐसे हो जाती हैं जैसे कुछ है ही नहीं, वे सिर्फ आती हैं और गायब हो जाती हैं|
मैं यहाँ ये भी कहना चाहूँगा कि हमारे कार्यकर्ताओं ने यहाँ बुल्गारिया की जेलों में भी इतना अच्छा कार्य किया है; कोर्स करने के बाद, सैंकड़ों लोगो की पूरी ज़िन्दगी बदल गयी, ये बहुत अच्छी बात है|
ये ही ज्ञान है, ज्ञान या बुद्धिमत्ता उन लोगो में से भी अच्छाई को उभारना है जो एक अपराधी हैं, सबसे बड़े अपराधी के अन्दर भी कुछ कुछ अच्छाई होती है; कुछ अच्छे गुण होते हैं| हमें उन्हें ही बाहर लाना है, उसके लिए ज्ञान की ज़रूरत है| किसी को दोषी ठहराने में कोई बड़ी बात नहीं, किसी ज्ञान की आवश्यकता नहीं, लेकिन उनके अन्दर से करुणा को उभारने में कुछ कार्य करना पड़ता है; मैं बधाई देना चाहूँगा उन सब कार्यकर्ताओ और अध्यापको को जिन्होंने बिना किसी स्वार्थ के जेलों में जाकर सबके अन्दर के मानवीय गुणों को उभारने का कार्य किया|
नासमझ व्यक्ति हर व्यक्ति को दुष्ट समझता है बुरा समझता है यहाँ तक कि अच्छे व्यक्तियों को भी| लोग कहते हैं कि सब बुरे हैं, सारा संसार ही बुरा है| ये कितने दुर्भाग्य की बात है| ये अच्छी संगती नहीं है| पिछले सप्ताह जब मैं कनाडा में था तो एक पति -पत्नी मुझसे मिलने आये, वो बहुत रो रहे थे, उनके किशोरावस्था पुत्र ने आत्महत्या कर ली और आत्महत्या के पत्र में लिखा कि सारी दुनिया बुरी है, जीने लायक नहीं है, अच्छे लोगों के लिए इस धरती पर कोई जगह नहीं है; सब बुरे और खराब लोगो ने यहाँ राज करना शुरू कर दिया है| इस युवक ने कितना दुःख झेला होगा, क्योंकि हर एक व्यक्ति आपसे कहता रहता है कि कैसे दूसरे व्यक्ति बुरे हैं, ये अच्छी संगति नहीं है| यहाँ तक कि हर बुरे व्यक्ति के अन्दर एक अच्छा इन्सान छुपा होता है जिसे ऊपर उभारना है, जब अच्छाई ऊपर आती है तब नकारात्मकता स्वतः ही गायब हो जाती है|

प्रश्न : क्या हमें २१ दिसंबर २०१२ और आने वाले सालों के बारे में कुछ जानने की आवश्यकता है?
श्री श्री रविशंकर : नहीं, कुछ नहीं| सब कुछ ठीक ही होगा, आप आराम से रहिये| मैं कहता हूँ कि ये दुनिया ख़त्म नहीं होने वाली, ये सिर्फ अमरीकी चलचित्रों में होता है| हिन्दू पंचांग के हिसाब से ये वर्ष का नाम नन्द है, जिसका अर्थ है आनंद का साल| लोग और ज्यादा आध्यात्मिक होंगे और दूसरों को और ज्यादा से ज्यादा खुशियाँ देना चाहेंगे| मैं उम्मीद करता हूँ कि ऐसा और ज्यादा हो; दो तरह की ख़ुशी होती है, एक सुख लेने में है और दूसरा सुख तब मिलता है जब आप किसी को कुछ देते हो|

प्रश्न : तब हम क्या करें जब हमें अपना कार्य करना अच्छा नहीं लगता?
श्री श्री रविशंकर : आपको आजीविका कमाने के लिए कार्य करना चाहये और ख़ुशी पाने के लिए कुछ सेवा का कार्य करें| खुद को किसी समाज सेवा के कार्य में लगायें| आप देखेंगे कि इस से आपको एक संतुष्टि, एक ख़ुशी मिलती है| मुझे पता था की ये प्रश्न आने वाला है इसी लिए मैंने कहा देने में ख़ुशी है, लेने के बजाय देने में ख़ुशी ढूँढो|

प्रश्न : हम और बेहतर कैसे बनें और अच्छाई को और कैसे उभारें?
श्री श्री रविशंकर : इसी लिए तो आर्ट ऑफ़ लिविंग के कार्यक्रम हैं, जिस से हर एक के अन्दर से अच्छाई को बाहर निकाल कर लायें, और आप देखेंगे कि ये सच में उभर रही है|

प्रश्न : आज के तेज़ समय में बच्चो से अच्छे सम्बन्ध कैसे बनाएं?
श्री श्री रविशंकर : उसके लिए हमने एक कोर्स बनाया है KYC - Know your child (अपने बच्चे को जानें) और KYT - Know Your Teen (अपने युवा बच्चे को जानें)| ये दिन का घंटे रोज़ का कोर्स है, इस से आपको बहुत से सुन्दर विचार मिलेंगे, ये सब जगह बहुत मशहूर है क्योंकि ये बहुत प्रभावी है| हमारा रिश्ता हमारे बच्चो से बदलता है और वह जिस तरह से आपसे प्रतिक्रिया करते हैं, वो भी बदलता है|

प्रश्न : अपने अन्दर के डर से कैसे उभरें?
श्री श्री रविशंकर : प्राणायाम एवं सुदर्शन क्रिया से|