मन को भीतर की ओर ले जायें!!!


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२०१२ मॉन्ट्रियल, कनाडा
 मई
आज बुद्ध पूर्णिमा है, जिस दिन गौतम बुद्ध का जन्म हुआ| उन्हें इसी दिन पर ज्ञानोदय, निर्वाण और महासमाधि प्राप्त हुई|
आज चंद्र अन्य पूर्णिमा के चंद्र से २०% बड़ा प्रतीत होता है| यह काफी बड़ा चंद्र है| आप सभी को इस चंद्र को उगते हुये देखना चाहिये|
सब में कुछ हद तक बुद्ध होता है और वह बुद्ध सिद्धार्थ के रूप में है|
क्या आप को पता है सिद्धार्थ कौन है? बुद्ध गौतम बुद्ध बनने के पूर्व में सिद्धार्थ थे|
वे घूम रहे थे और खोये हुये थे| उन्होंने सारे प्रयत्न किये लेकिन उसे प्राप्त नहीं कर पाये| लेकिन उनमे खोज करने की प्रबल चाहत थी|
इसलिए हर किसी के भीतर बुद्ध होता है, सिर्फ उसे जगाने की आवश्यकता है|
बुद्ध ने सारे प्रयत्न किये| उन्होंने जो कुछ आवश्यक था सब कुछ किया| उन्होंने कई तकनीकों का सहारा लिया लेकिन कोई भी काम नहीं आई| क्योंकि यह सब करते समय उनका मन बाहर की ओर था और जब वे सारे प्रयत्न करके थक गये, फिर उन्होंने सब कुछ छोड़ दिया और फिर उसी क्षण उन्हें ज्ञानोदय हुआ| यह कहानी ऐसी ही है|
जब वे कठिन प्रयासों को कर के थक गये, तो उन्होंने स्वयं से कहा, अब मैं विश्राम करता हूँ, और मैं इसे छोड़ देता हूँ’| फिर उन्होंने प्रयत्न करना छोड़ कर विश्राम किया और फिर मन भीतर की ओर गया और वे गौतम बुद्ध बन गये|
इसलिए मन को भीतर की ओर ले जायें|
दूर्भाग्य से गौतम बुद्ध के कोई गुरु नहीं थे| उन्हें उस समय कोई गुरु नहीं मिला| लेकिन आदि शंकराचार्य के पास गुरु थे| वे गुरु से मिले और उनका पथ काफी सरल और सहज था| वे कुछ ही क्षणों में समाधि में चले जाते थे| लेकिन बुद्ध को समाधि और ध्यान में जाना संभव नहीं था| यह उनके लिये कठिन था| उन्होंने उपवास किया| उनसे किसे ने उपवास करने को कहा था इसलिये उन्होंने उपवास किया क्योंकि वे राजा थे और शाही परिवार से थे इसलिए उन्हें समर्पण, भक्ति और बातों को छोड़ देने का ज्ञान नहीं था| उन्होंने वह सब किया जो उन्होंने सुना था और जो उन्हें ज्ञात था जिसमे वे प्रशिक्षित थे| इसलिए उस बड़े अहंकार और उन बड़े प्रयासों के कारण उन्हें कई वर्ष भटकना पड़ा|
जब उन्होंने सब कुछ छोड़ दिया और फिर उसी क्षण उन्हें ज्ञानोदय हुआ| यह कहानी ऐसी ही है|
आपका भीतर का छोटा सा मन आपको छोड़ने नहीं देता और इस सैर पर निकल पड़ता है कि मुझे यह चाहिये, मुझे यह करना है और मैं यह और वह हासिल करूँगा|
जब आप यह समझ जाते हैं कि हासिल करने में क्या है? फिर सब कुछ छूट जाता है और आप चीजों को छोड़ना सीख जाते हैं और ध्यान संभव हो जाता है| यह आयुर्वेदिक मालिश के लिए मेज़ पर लेटने के समान है| जब आप मेज़ पर लेट जाते हैं फिर आप कुछ नहीं करते| सबकुछ आप के लिए किया जाता है और ध्यान भी आपके लिये करवाया जायेगा| आप सिर्फ बैठ जायें और फिर ध्यान अपने आप ही लग जायेगा|