"इच्छा का ध्येय है आनंद लाना"

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प्रश्न : इच्छा क्यों उठती है? ये कहाँ से आती है? इसका उद्देश्य क्या है?

श्री श्री रवि शंकर :
सभी इच्छाओं का एक ही उद्देश्य है, और वो है आनंद। अगर किसी इच्छा की वजह से दुख आया है तो उस इच्छा ने अपने उद्देश्य को पूरा नहीं किया है। इच्छा का ध्येय है आनंद लाना। तो ये इसका उद्देश्य हुआ।

इच्छा कहाँ से आती है? ये तब आती है जब तुम अपने अस्तित्व से, अपनी आत्मा से अनभिज्ञ होते हो। इच्छा का अर्थ है कि तुम इस क्षण में रहना चाहते हो। इच्छा है कि तुम्हें सुख का अनुभव हो। सुख केवल इस क्षण में है। और जब तुम इस क्षण में होते हो तब कोई इच्छा नहीं होती। जब तुम आनंदित होते हो, तब तुम संतुष्ट होते हो, उस समय कोई तीव्र इच्छा नहीं होती है।

प्रश्न : ऐसा क्यों है कि जो लोग इस रास्ते पर नहीं है वे हमें समझते नहीं हैं, और हमारा विरोध करते हैं। मुझे समझ नहीं आता।

श्री श्री रवि शंकर :
उन्हें कहने दो। तो क्या हुआ? उसे स्वीकार लो। कोई फ़र्क नहीं पड़ता। हम ये ज़ोर नहीं देते हैं कि सब हमे अच्छा ही कहें। उनके कहने से तुम नकारात्मक नहीं बन जाते।

तो, दूसरे लोगों की राय का खिलौना मत बनो। कोई कुछ भी कहे, कोई फ़र्क नहीं पड़ता। जब तुम्हारा हृदय साफ़ है, तो जो तुम करोगे वो सही होगा। जो तुम करना चाहते हो, वो सही है तो बस शुरुआत करो।

प्रश्न : कृपया हमें विश्वास से जुड़ने का उपाय सिखाइये।

श्री श्री रवि शंकर :
विश्वास से जुड़ने की कोशिश करना ऐसा ही है जैसे अपने आस पास की हवा के साथ जुड़ने का प्रयत्न करना। ‘मैं हवा के साथ जुड़ना चाहता हूँ।’ मेरे प्यारे, तुम जुड़े ही हो! क्या तुम समझ रहे हो कि मैं क्या कह रहा हूँ? मैं तो कहूंगा कि जितना हो सके शंका करो। एक समय आयेगा जब शंका टिक नहीं पायेगी, और सच सामने खड़ा होगा। सच कभी भी शक से नष्ट नहीं हो सकता है।

तुम समझ रहे हो मैं क्या कह रहा हूँ? सच खड़ा होगा। शक उसे कुछ समय तक छुपा सकता है, उसे बाहर आने में कुछ देर लगवा सकता है, पर सच को कभी भी नष्ट नहीं कर सकता है।

इसलिये जब लोगों को शंका होती है तो मैं कहता हूँ, ‘जितना हो सके शंका करो। एक दिन ये शंकायें गिर जायेगी।’ अगर तुम भाग्यशाली हो तो शंका आते ही, तुरंत चली भी जायेगी। जिनका भाग्य इतना अच्छा नहीं है वे कुछ देर और शंका के साथ रहते हैं। बस इतना ही है। जिनका दुर्भाग्य है, वे बहुत दूर तक इस कूड़े का भार अपने सिर पर लाद कर चलेंगे। भाग्यशाली लोग तुरंत जान लेंगे कि शंका कूड़ा है और उसे वहीं फेंक देंगे। नहीं तो अपने कंधों पर लंबे समय तक ये बोझा ढोते रहेंगे।

इस वार्तालाप के कुछ और अंश अगली पोस्ट में..


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