विश्वास और शक
विश्वास से तुम में पूर्णता आती है। विश्वास तुम्हारी चेतना के सभी बिखरे कणों को केन्द्रित करता है। इससे तुम्हारा संपूर्ण व्यक्तित्व सुव्यवस्थित बनता है। शक से तुम बिखर जाते हो। शक से तुम नष्ट हो जाते हो।
चिंताओं का बह जाना
एक प्रयोग कर के देखो – जब तुम बहुत चिंतित हो, तनावग्रस्त हो, तब एक नदी या बहते हुये जलस्त्रोत्र के पास जाकर बैठ जाओ, और बस उस बहते हुये पानी को देखते रहो। तुम्हें पता है, कुछ ही क्षणों में तुम्हें एक खिचाव महसूस होगा, मानो तुम्हारा मन उस पानी के बहाव की ओर खिंचा चला जा रहा है...और कुछ ही देर में तुम्हारी चिंता, तनाव, जो भी तुम महसूस कर रहे थे पानी के बहाव में बह जाता है। तुम तरोताज़ा हो जाते हो।
सभी स्तरों को प्रभावित करना
जब तुम ध्यान करते हो तो केवल खुद में ही समरसता नहीं ला रहो हो, तुम सृष्टि के सूक्ष्म स्तरों को, सृष्टि के अस्तित्व के विभिन्न स्तरों पर सूक्ष्म शरीरों को प्रभावित करते हो।
मनुष्य शरीर
हर मनुष्य के लिये, हर आत्मा के लिये बिना किसी शर्त के प्रेम में रहने की आशा है। तभी तो मनुष्य शरीर इतना मूल्यवान है – क्योंकि इस शरीर में रह कर तु में ये क्षमता है कि तुम सभी नकरात्मक वृत्तियों को मिटा सको।
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