१५ अगस्त २०१०
प्रश्न : मेरा परिवार बहुत अच्छा है, मेरे पति मेरा ख़्याल रखते हैं, मेरी तीन प्यारे बेटियां हैं, धन की लोई समस्या नहीं है, पर मैं बिना कारण ही रह रह कर विचलित हो जाती हूं! मेरे पिता डिप्रेशन के मरीज़ हैं, क्या मेरा विचलित होना मुझे उनसे विरासत में मिला है? मेरे दादा ने बहुत पहले ही आत्महत्या कर ली थी; मेरे पिता उनसे नफ़रत करते थे!
श्री श्री रवि शंकर : देखो, सब कुछ बदल जाता है! एक साल में तुम्हारे शरीर की हरेक कोषिका बदल जाती है, और जब तुम आध्यात्म के पथ पर हो तो ये और शीघ्र होता है। तुम्हारा भूतकाल कैसा भी रहा हो, उसे छोड़ो। ठीक है?
हां, पिछले समय में लोग अपने मन को संभालना नहीं जानते थे, पर अब तुम तो जानती हो, ठीक है?
ये धारणा कि, ‘अवसाद, मेरी पुश्तैनी समस्या है,’ तुम्हारे मन को तनाव मुक्त नहीं होने देगी।
सब कुछ बदल सकता है, और बदल रहा है। प्राणायाम के अभ्यास से तुमने कुछ बदलाव अनुभव किया होगा। ये सुधार बढ़ता ही रहेगा। कुछ और अडवांस कोर्सों और कुछ और ध्यान से भी मदद मिलेगी।
प्रश्न : मैं शरीर में जहां तहां दर्द के लिये बहुत ऐलोपैथिक दवायं लेता हूं, पर फिर भी दर्द से पीड़ित रहता हूं।
श्री श्री रवि शंकर : हम अपने शरीर का ध्यान नहीं रखते हैं, हम उचित मात्रा में व्यायाम नहीं करते हैं। हम जो भोजन करते हैं उसमें रसायन, कीटनाशक, रसायनिक खाद, इत्यादि होते हैं, जो हमारे शरीर में दर्द पैदा करते हैं। एक बार अपने भीतर से ये ज़हर निकलवा दो तो पाओगे कि ये दर्द भी चले जायेंगे।
प्रश्न : प्रिय गुरुजी, मुझे दो व्यक्ति पसंद हैं, पर समस्या ये है कि मैं नहीं जानती कि किसका चयन करूं? उनमें से एक व्यक्ति मुझे बहुत प्रेम करता है। और उनमें से दूसरे व्यक्ति को प्रेम करना मुझे एक चुनौतीपूर्ण कर्य लगता है। मैं किसको चुनूं?
श्री श्री रवि शंकर : तुम्हें पता है कि इन मामलों में मैं चयन तुम पर छोड़ कर तुम्हें आशीर्वाद देता हूं!
अगर मैं तुम्हारे लिये चयन करूं, तो जब भी तुम उस व्यक्ति से झगड़ोगी तो कहोगी, ‘मैंने तुम्हें नहीं चुना था। गुरुजी के चुनाव की वजह से मैंने तुम से शादी की!’ तब तुम्हारे साथ मैं भी मुसीबत में आ जाऊंगा! सबसे अच्छा तरीका है कि तुम चयन करो, और ये जान लो कि तुम जिसे चुनोगी, वही तुम्हारे लिये सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति होगा। तुम जिसे नहीं चुनोगी वो कभी भी तुम्हारे लिये सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति नहीं हो सकता है, ये मेरा अश्वासन है।
प्रश्न : मैं भूतकाल को कैसे छोड़कर आगे बढ़ूं?
श्री श्री रवि शंकर : हमें भूतकाल को भाग्य के रूप में देखना चाहिये और भविष्य को स्वतंत्र इच्छा के रूप में, और वर्तमान क्षण में सुखपूर्वक जीना चाहिये। आमतौर पर हम लोग इसका ठीक विपरीत करते हैं। हम क्या करते हैं? हम भूतकाल को स्वतंत्र इच्छा से निर्मित समझते हैं और भविष्य को भाग्य मान कर, वर्तमान में निष्क्रिय और दुखी रहते हैं। ऐसा बेवकूफ़ लोग करते हैं। बुद्धिमान लोग क्या करते हैं? बुद्धिमान लोग देखते हैं कि भूतकाल तो अब है नहीं, वो तो चला गया है, ख़त्म हो गया है, और ऐसा होना ही निश्चित था, भाग्य था।
कुछ अच्छा हुआ और आपने उससे कुछ सीखा, और कुछ बुरा हुआ और आपने उससे कुछ सीखा। दोनों ही स्थितियों में आपने कुछ सीखा। तो, भूतकाल भाग्य था। हम वर्तमान से भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। हमारी चेतना में ये क्षमता है कि वह देख सकती है कि उसे क्या चाहिये है। भविष्य हमारी स्वतंत्र इच्छा है। वर्तमान में सब लोगों के साथ एक हैं और खुश हैं। हमें खुश रहने के कारण ढूढने चाहिये, पर हम क्या करते हैं? हम इसका उल्टा करते हैं। हम दुखी होने के सभी कारण ढूंढ लेते हैं।
हां, जीवन में चुनौतियां आती हैं, अच्छी घटनायें घटती हैं; अप्रिय घटनायें घटती हैं – तो क्या हुआ, हां!
प्रश्न : मैं बहुत आनंदित हूं कि मैं आर्ट आफ़ लिविंग के साथ जुड़ा हूं। मैं बौद्ध हूं। क्या मैं आर्ट आफ़ लिविंग का शिक्षक बन सकता हूं?
श्री श्री रवि शंकर : हां, ज़रूर! बिल्कुल बन सकते हो। तुम सचमुच बुद्ध की वाणी समझते हो और उसी के मुताबिक अपना जीवन जीते हो।
प्रश्न : प्रिय गुरुजी, मैं इस अडवांस कोर्स में भाग ले रहा हूं, पर इस बार मैं सभी ध्यानों के समय सोता रहा। क्या मैं पूछ सकता हूं कि मेरे साथ क्या गड़बड़ है?
श्री श्री रवि शंकर : हां, तुम ही नहीं, दूसरों ने भी ग़ौर किया है कि तुम गहरी नींद में सोते रहते हो। कोई बात नहीं, ये ठीक है। तुम्हें पता है जब तुम्हारा शरीर बहुत थका हुआ होता है, तुम देर रात में सोते हो, और बहुत तनाव जमा किया होता है, तो नींद आ जाती है। इसीलिये ये कोर्स चार दिनों का है।
तुम्हारे सोने का एक कारण हो सकता है कि तुम्हारा शरीर बहुत थका हुआ हो। दूसरा कारण हो सकता है कि भोजन बहुत स्वादिष्ट है, इसलिये तुम कुछ आवश्यकता से कुछ अधिक खा लेते हो, और यदि दोपहर में थोड़े गरिष्ठ भोजन के साथ थोड़ा दही खा लिया हो, तो कभी कभी नींद आ जाती है। तो, तुम अपने भोजन को कुछ कम कर सकते हो, सिर्फ़ १-२ चम्मच कम। भोजन कुछ कम करो और फल, सब्ज़ी और जूस अधिक लो। तीसरा कारण हो सकता है प्राणवायु की कमी। अगर तुमने सुबह कुछ व्यायाम या तेज़ रफ़्तार से टहलना, या जौग्गिंग नहीं किया है तब भी ऐसा हो सकता है। भस्त्रिका के एक या दो दौर से भी मदद मिलती है।
प्रश्न : अनुवाद के बिना कोर्स बहुत अच्छा रहेगा। क्या हम अनुवाद बंद करा सकते हैं?
श्री श्री रवि शंकर : अच्छा, मेरी बात सुनो – ये तुम्हारी धारणा है। ज़रा कल्पना करो कि उनकी जगह तुम होते और मैं सिर्फ़ चीनी भाषा बोलूं, अंग्रेज़ी बिल्कुल ना बोलूं, और कोई अनुवाद करने वाला ना हो, तब तुम क्या करते? ‘ओह! कृपया अनुवाद करवा दीजिये।’ अपने मन में ऐसी धारणा मत रखो कि, ‘अनुवाद से मुझे विक्षेप होता है।’ नहीं। उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता है। अनुवाद को चलने दो। उसे संगीत की तरह सुनो।
हम लोग जो चीनी भाषा नहीं पढ़ सकते हैं, जब हम हौंग कौंग जाते हैं तो हर तरफ़ चीनी लिखावट, किसी सजावट की तरह दिखती है। सभी साइनबोर्ड किसी सजावट की तरह लगते हैं...जैसे कोई रंगोली हो, कोई डिज़ाइन हो। पूरा हौंग कौंग ही डिज़ाइन बोर्डों से सजा मालूम पड़ता है। इनसे मन में कोई परेशानी नहीं होती है। पर अगर आप चीनी भाषा जानते हैं तो सभी साइन बोर्ड पढ़ने से आप परेशान हो जायेंगे। जब आप चीनी भाषा ही नहीं जानते हैं तो ये बहुत सुंदर लगते हैं।
प्रश्न : हम इस दुनिया को एक बेहतर जगह कैसे बना सकते हैं? और ऐसा कब होगा?
श्री श्री रवि शंकर : मुझे खुशी है कि तुमने ऐसा सोचा है, और तुम सही जगह पर हो। चलो हम सब मिल कर कुछ बढ़िया काम करते हैं...।
प्रश्न : प्रेम क्या है, और शांति कैसे प्राप्त करें?
श्री श्री रवि शंकर : मैंने इसके बारे में नारद भक्ति सूत्रों में बताया है – प्रेम क्या है, कितने प्रकार का है? उन टेपों को सुनो।
प्रश्न : प्रिय गुरुजी, मुझे एक देश में अच्छी नौकरी और वीज़ा पाने की बहुत आवश्यकता है, कृपया मेरी मदद कीजिये!
श्री श्री रवि शंकर : हां, प्रार्थना और ध्यान करो। तुम जो भी मांगते हो, तुम्हें मिल रहा है ना? तुम में से कितनों को अपनी इच्छानुसार सब मिल रहा है? तुम इच्छा करते हो और वो पूरी हो जाती है, तुम्हारा काम हो रहा है। कितनों की इच्छायें पूरी हो रही हैं? (बहुत से लोग अपने हाथ उठाते हैं।)
प्रश्न : मैं अपने परिवार के साथ भारत जाना चाहता हूं।
श्री श्री रवि शंकर : हां, तुम्हारा स्वागत है। हम लोग इंतज़ाम करेंगे। मेरे ख्याल से उस दिन स्टेडियम में भी कई लोग ऐसे थे जो भारत आना चाहते थे। अगर एक बड़ा सा ग्रूप होगा तो मज़ा आयेगा। यहां कोई अच्छा ट्रैवेल ऐजेन्ट है? यहां कोई ट्रैवेल ऐजेन्ट मौजूद है? फिर हम इंतज़ाम करेंगे, और सभी को आना चाहिये। यहां से बहुत नज़दीक है – सिर्फ़ ४ घंटा।
प्रश्न : स्मरण शक्ति को कैसे बढ़ायें और अधिक रचनात्मक और कल्पनाशील कैसे बनें?
श्री श्री रवि शंकर : स्मरण शक्ति कैसे बढ़ाये? मैं तुम्हें अगले साल बताऊंगा, देखते हैं कि तुम्हें अपना प्रश्न स्मरण रहता है कि नहीं!
तुम्हारी स्मरण शक्ति अच्छी है ही। अगर तुम्हें लगता है कि अच्छी नहीं है तो थोड़ा अधिक प्राणायाम करो, और आयुर्वेद में भी कुछ उपाय हैं, तुम ब्रह्मी और शंखपुष्पी जड़ी बूटियां ले सकते हो, ये स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिये अच्छी हैं।
प्रश्न : मैं पेट में वायु विकार, और कब्ज़ से कैसे निबटूं? इनकी वजह से मेरे भाव बहुत ख़राब हो जाते हैं, ख़ास तौर पर काम करते समय।
श्री श्री रवि शंकर : भोजन, भोजन, भोजन। अपनी भोजन संबंधी आदतों को बदलों। यहां कोई आयुर्वेदिक या चीनी चिकित्सक है? वे किसी जड़ी बूटी की सलाह देंगे। आयुर्वेद में एक चीज़ है – त्रिफला, जो शरीर की भीतरी सफ़ाई करता है। हर रात त्रिफला की २-३ गोलियां खाओ और कब्ज़ चला जायेगा! यह बहुत ही सामन्य दवा है, कोई नुक्सान नहीं करती है। क्या यहां आयुर्वेद है? हमें ये जड़ी बूटियां यहां उपलब्ध करानी चाहिये, ये बहुत लाभदायक हैं।
प्रश्न : जब दो बच्चे आपस में झगड़ना पसंद करते हों, तो मेरी इसमें क्या भूमिका होनी चाहिये?
श्री श्री रवि शंकर : उनके साथ जुट जाओ! देखो कि उनके पास कोई नोकीली चीज़ ना हो। बच्चों को लड़ना चाहिये। वे लड़ते हैं और फिर एक दूसरे के गले लग जाते हैं। वे आपस में प्रेम करते हैं, और एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते हैं। पर सुलह करने में वयस्कों को कई महीने, साल या जीवन काल तक लग जाते हैं। बच्चे ऐसे नहीं होते, वे एक पल लड़ते हैं, और अगले ही पल हाथों में हाथ डाल कर साथ घूमते हैं। बेहतर होगा कि तुम उनके मामले में दखल ना दो। बच्चे वर्तमान में जीते हैं। बच्चे, इस क्षण में जीते हैं। वे अभी लड़ते हैं और अभी भूल जाते हैं, ये इनकी लड़ाई की सुंदरता है।
प्रश्न : आर्ट आफ़ लिविंग के शिक्षक कैसे बन सकते हैं?
श्री श्री रवि शंकर : हां, कोर्स के अंत में एक सूची होगी, और जो भी शिक्षक बनना चाहता है उसमें अपना नाम लिखा दे। तुम शिक्षक बनना चाहते हो तो बन सकते हो।
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