ध्यान का अर्थ “ध्वनि से नीरवता की ओर जाना”!!!


फरवरी ४, २०१२, बैंगलुरू आश्रम

इनग्रिड की पियानो महफ़िल:
ध्यान का अर्थ  ध्वनि से नीरवता की ओर जानाI जब इनग्रिड पियानो बजाती है उस वक्त हम क्या कर सकते हैं? हम बस आंखे बंद कर के विश्राम करेंगे और संगीत में डूब जायेंगेI
हम संगीत और ध्यान को एक साथ जोड़ देंगे|
ध्यान क्या है? गहरा विश्राम, तो हम बैठकर विश्राम करेंगेI आंखे बंद कर के संगीत को हमारे अन्दर प्रवाहित होने देंगेI वैसे भी हमारा शरीअंदर से पूरा खोखला और खाली है; संगीत उसमें भर सकता हैI
कुछ देर के लिए सभी बस बैठकर विश्राम करें और ध्यान करेंI वैसे जब भी आप कभी संगीत सुन रहे हों तो बस उसके साथ रहना अच्छा हैI
कई बार क्या होता है, हम रेडिओ, टेलीविजन लगाते हैं और कुछ बातें करने लगते हैंI संगीत एक तरफ चलता रहता हैI या फिर हम किसी कार्यक्रम में आँखे खुली रख के बैठे होते हैं, इधर उधर देखते रहते हैं, क्या क्या हो रहा हैI मतलब हम सच में संगीत का स्वाद नहीं ले रहे होते हैं या फिर संगीत का सौ प्रतिशत फायदा नहीं लेते हैंI
मुझे ये लगता है की जब आप संगीत सुन रहे होते हैं, आपको बस विश्राम करना चाहिएI आँखे बंद कर के बस विश्राम करेI जब आप बांसुरी सुन रहे होते हो तब आपको लगना चाहिए कि संगीत आपके अन्दर प्रवाहित हो रहा हैI ध्वनि के माध्यम से भी आप विश्राम कर सकते हैI वैसे ही जब आप पियानो सुन रहे होते हो तो वो खुद एक ध्यान का अनुभव हो सकता है और आपको विश्राम दिला सकता हैI यहीं ही "सुनने की कला" है और वह बहुत अच्छी हैI

प्रश्न : युवा पीढ़ी के बच्चों लिए सबसे अच्छी सलाह क्या है?
श्री श्री रविशंकर : "हंसी" ईश्वर की आपको दी हुई सबसे बड़ी देन है| वयस्कों की वजह से उसे कभी खोने नहीं देना चाहिए| आपके बूढ़े होने पर भी नह कायम रहनी चाहिएI इसलिए आपकी जड़ गहरी होनी चाहिए और आपकी दृष्टी विस्तृत होनी चाहिए| जीवन एक वृक्ष की तरह है| जड़ पुरानी होती है पर शाखाएं नयी होती हैं| सिर्फ पुराना अच्छा नहीं और सिर्फ नया भी अच्छा नहींI जीवन नए और पुराने का मेल है| आपको क्या लगता है?



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