०३.०२.२०११, बैंगलुरू आश्रम
वाह! मंच पर भी शक्तिशाली/प्रभावशाली
महिलाएं और दर्शकों में भी प्रभावशाली महिलाओं के मध्य बात कर पाना बहुत कठिन लगता
है| कहा गया है कि जब महिलाओं की सत्ता हो तो व्यापार, प्रोद्योगिकी, सत्य, और परंपराओं का पुनः प्रचलन होते रहना चाहिए|
यदि व्यापार की भ्रांतियों पर बार बार ध्यान नहीं दिया जाए, यदि व्यापार पर पुनः चर्चा
ना हो और हम पुरानी व्यापार नीतियों को जारी रखें तो व्यापार कभी प्रगति नहीं कर सकता|
बहुत सी व्यवसायी महिलाएं मेरी बात समझ रही हैं| यही प्रोद्योगिकी के साथ है|
आज, मोबाइल फोन के ज़माने में आप तार
वाले फोन के साथ नहीं रह सकते|
आज की पीढ़ी यह जानती भी नहीं कि
तीस साल पहले एक फोन कॉल करना कितना कठिन था| हमें कॉल बुक करनी पड़ती थी और संचालक
को फिर से कॉल करके हमारी लाइन मिलाने की प्रतीक्षा करनी पड़ती
थी| इतने समय में तो संभवतः कोई व्यक्ति उस स्थान तक जा कर भी आ सकता था| दूसरा व्यक्ति
चाहे पचास किलोमीटर दूर ही क्यों न हो, हमें दो घंटो तक संपर्क स्थापित होने की प्रतीक्षा
करनी पड़ती थी परन्तु, प्रोद्योगिकी में बहुत सुधार आया है| आज हमारे पास मोबाईल फोन
हैं| दुनिया में कहीं भी संपर्क करना हमारी उँगलियों पर हैं| जैसा हमारी एक वक्ता
ने अभी कहा, हम प्रोद्योगिकी में प्रगति कर रहे हैं क्योंकि हम प्रतिदिन उसका नवीनीकरण
कर रहे है| प्रोद्योगिकी का नवीनीकरण आवश्यक है, इसी प्रकार हमारे जीवन के सत्य का
नवीनीकरण भी आवश्यक है| हमें बार बार स्वयं से यह प्रश्न करना है कि “मुझे क्या
चाहिए?”, “क्या मैं सही कर रही हूँ?” “क्या मैं
खुश हूँ”?
आध्यात्मिकता कहीं बैठ कर कुछ करना
नहीं है| यह अपने जीवन के सत्य पर बार बार ध्यान देना है|
क्या हम न्यायी हैं? क्या समाज न्यायी
है? क्या हमारे नियम और कानून न्यायी हैं? क्या समाज में लिंग समानता है? क्या हमारी
संतानों को सही शिक्षा, संस्कार और देख रेख उपलब्ध हैं ? हमारा समाज कहाँ जा रहा है?
हम कहाँ जा रहे हैं? इन प्रश्नों पर विचार
करना और बार बार इन प्रश्नों पर लौटने को ही मैं आध्यात्मिकता कहता हूँ|
जो भी आपकी आत्मा का उत्थान करे वह आध्यात्मिकता है| संगीत, नृत्य, चर्चा, सेवा कार्य,
यह सब आत्मा का उद्धार करने वाले कार्य हैं| यह अनिवार्य है|
हमें सत्य को और अपनी प्रथाओं का
अनुशीलन करते रहना है| उनके नवीनीकरण की आवश्यकता
है| यदि ये अर्थपूर्ण हैं, हमें इन्हें अपनाना है और यदि ये हानिकारक हैं, तो इन्हें
छोड़ना है| आप किसी हानिकारक प्रथा के साथ नहीं
जुड़े रह सकते और इसमें महिलाओं की मुख्य भूमिका है क्योंकि महिलाएं ही परमपराओं की रक्षक होती हैं|
कभी किसी समय कई प्रथायें बन जाती
हैं परन्तु यदि हम अंधानुयायी हो कर इनका पालन बिना प्रश्न किये करेंगे, बिना ये पूछे, “मैं ये
क्यों कर रही हूँ”? “यह ऐसा क्यों होना चाहिए?” यहाँ पर
महिलाएं एक अहम भूमिका निभा सकती हैं|
एक कहानी है, एक वृद्ध पुरुष की,
जिनकी नकली दंताली (डेन्चर) थी| भोजन उपरांत वो गुसलखाने में जाते, दन्तावली को धोते
और एक डब्बी में डाल कर एक स्थान में रख देते| यह एक आदत थी जो उन्होंने बना ली थी|
बच्चे बस उन्हें गुसलखाने में जाते हुए और डिब्बी में कुछ रख कर उसे एक स्थान में रखते
हुए देखते| इसलिए, उनकी मृत्यु के बाद बच्चे भी वही करने लगे| उन्हें दन्तावली की आवश्यकता
नहीं थी पर वे गुसलखाने में जाकर एक डिब्बा ले कर उसको धो कर एक खाने में रखने लगे|
यह उनकी एक परंपरा बन गयी| क्यों? उन्हें यह करना था क्योंकि उनके दादाजी ऐसा करते
थे|
हम केवल ऐसे ही वे काम नहीं कर सकते
जिनका हमारे लिए कोई अर्थ ना हो| अंधविश्वास
तब उत्पन्न होता है जब तर्क या किसी प्रथा पर प्रश्न नहीं होता| हमें अपनी परंपरा पर
सवाल करना है और देखना है कि यह कितनी लाभदायक है| यदि वह लाभदायक है तो हमें अवश्य उसको प्रचलित रखना होगा अन्यथा, उसे छोड़ देना
होगा |
चार पहलू हैं जिन्हें नवीन करना होगा; सत्य, औद्योगिकी, परंपरा, और व्यवसाय| नवीनीकरण का अर्थ है शोभाचार, फैशन और महिलाएं
तो शोभाचार से घनिष्ठ रूप से जुड़ी हैं| इस संसार में संभवतः कोई भी ऐसी महिला नहीं
है जिसे शोभाचार पसंद न हो|
एक स्त्री होने का अहम गुण है शोभाचार
में रुचि| शोभाचार का अर्थ है आधुनिक बनना| यह कभी भी पुराना नहीं हो सकता| पुराने
शोभाचार का होना विपरीत लक्षण हैं या तो वह पुराना है या शोभाचार है|
इस लिए, आपको इन चारों पहलूओं को
नवीन करना है| मैं खुश हूँ कि आपने एक उत्तम विषय चुना है; महिलाएं और प्रोद्योगिकी|
प्रोद्योगिकी के कारण बहुत आराम है पर बहुत हानि भी है| जैसा पहले वक्ताओं ने कहा है
प्रोद्योगिकी हमें आराम देने के लिए है पर बहुत बार इस से बड़ी समस्याएं उत्पन्न हो
जाती हैं| यह लोगों को दूर कर रही है और हमारे बच्चों को यंत्रों की तरह बना रही है
और इसके हानिकारक विकिरण भी है|
अभी कल ही मेरे पास एक नगर के मंत्री
आये थे और शिकायत कर रहे थे कि उनका सिर इतना दर्द कर रहा था कि कोई चिकित्सक कुछ नहीं
कर पा रहा| कहते है ये सब मोबाईल फोन के कारण है| मोबाईल से आने वाली किरणें ने दिमाग
कि नसों में कुछ कर दिया है जो कोई भी चिकित्सक समझ नहीं पा रहा| मैंने बहुत से आई
टी में काम करने वालों को देखा है जिन्हें ये समस्या है| वे कम्प्यूटर के सामने बैठते
हैं और उन्हें कुछ हो जाता है| किरणें दिमाग पर, नसों पर असर करती हैं| देर रात तक
जागना, नींद की कमी, व्यायाम की, ठीक खान पान
की, और ध्यान की कमी ने सेहत के लिये खतरे पैदा कर दिए है| एक तरह से कहें तो यह प्रोद्योगिकी की हमें
एक भेंट है|
आज लोग खुश हैं एक ऐसी जगह में रह
कर जहाँ कोई दूरभाष नहीं है, कोई टी वी नहीं है, जहाँ कोई मोबाईल टावर नहीं हैं कोई
किरणें नहीं हैं| अब हम ऐसे युग को शुरू कर रहे हैं जहाँ हमें बिजली भी नहीं चाहिए|
मैं ऐसे सेहत शिविरों के बारे में जानता हूँ जो यह अधिक शक्ति वाली बिजली का उपयोग
नहीं करना चाहते| वे सिर्फ सौर्य विद्युत, हरित विद्युत का उपयोग करते हैं तो यहाँ
भी हमें आधुनिक होने की आवश्यकता है| हम प्रोद्योगिकी को त्याग नहीं सकते| हम इसको
छोड़ नहीं सकते पर साथ ही साथ, हमें मानवी संस्कार विकसित करने हैं|
हमें ध्यान में रखना है अपने परिवार, अपने शरीर और अपने बच्चों की सेहत, उनका व्यवहार और पूरे समाज
की सेहत का|
एक और पहलू जिस पर मैं बात करना चाहूँगा
वह है भ्रष्टाचार| आपने देखा है देश में क्या
हुआ है| कल आपने सुना उच्चतम न्यायालय ने क्या कहा| भ्रष्टाचार वहां से शुरू होता है
जहाँ अपनापन खत्म होता है|
इस महाद्वीप में हर दिशा में महिला
शासक हैं, चाहे वह बंगलादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका
हो या भारत| महिलाओं को बहुत कुछ करना है| उन्हें इस महाद्वीप को भ्रष्टाचार रहित देखना
है| मैं केवल इस महाद्वीप को भ्रष्टाचार रहित करने की बात कर रहा हूँ इस का अर्थ ये
नहीं कि विश्व के और महाद्वीपों में भ्रष्टाचार नहीं है| यूरोप के एक सांसद ने मुझे
बताया कि मात्र यूरोप में ६०० अरब डॉलर तक का भ्रष्टाचार हो रहा है| इसलिए, भ्रष्टाचार
वहां से शुरू होता है जहाँ अपनापन खत्म होता है| अहिंसा वहां से शुरू होती है जहाँ
अपनापन खत्म होता है|
महिला प्रतिनिधि के रूप में, आप सब
इस पर सोचिये और ऐसे कार्यक्रम सोचिये जो हमारे देश की और पूरे विश्व की इस जटिल समस्या
का समाधान कर सकें| मुझे विश्वास है कि आप जो भी कार्य शुरू करेंगी, उसे समाप्ति तक
ले कर जायेंगीं| महिलाएं जो भी कार्यभार लेती हैं उसमे सही रूप में सफल होती हैं, चाहे
वह बड़ा हो या छोटा|
ये कुछ शब्द मैं आपसे कह रहा हूँ,
ईश्वर सब करते हैं पर वे प्रकट करवाते हैं जैसे आप ही कर रहे हैं| करने वाले वे हैं, और जरिया आप हैं| आप सब को शुभकामनाएं| इस
समय का आनंद लीजिए!
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