"जिसे आप नहीं जानते उसके प्रति प्रेम श्रद्धा है"

किसी भी कार्यक्षेत्र में संघर्ष हो सकता है। जब ऐसा होता है तो उसके प्रति indifference का भाव रखो। यह आपका प्रेम कितना दृढ़ है, इसका संकेत है। जब आप गलती के पीछे सही अंदेशा देखते हैं तो किसी की यां आपकी गलती आपको परेशान नहीं करती। यह ज्ञान का अलग ही नज़रिया है। आपको याद हो तो मैने आपसे एक बार कहा था कि दूसरों की गलती के पीछे वजह मत देखो। पर अब मैं कह रहा हूँ कि गलती के पीछे वजह देखो। जब कोई सही भाव से अच्छा काम करता है, पर कृत गलत हो जाता है तो यह आपको परेशान नहीं करता। एक डाक्टर मरीज़ का इलाज उसे ठीक करने की भावना से करता है, पर अगर इसके दौरान मरीज़ की मृत्यु हो जाए तो डाक्टर पर आरोप नहीं लगाते। पर एक डाकू यां आतंकवादी को इस तरह से माफ नहीं किया जा सकता। मगर यदि आप इतने बुद्धिमान हैं कि आप यह देख सकें उनका गलत करने की वजह का कारण तनाव और अज्ञानता है, तो आप करुणा का भाव रखते हैं। जब आप दूसरों की गलती के पीछे वजह देखते हैं, और आप वजह को ठीक पर कृत को गलत देख पाते हैं तो किसी की गलती आपके मन को विचलित नहीं करती। जैसे एक परिवार में बच्चा अगर कोई गलती करता है तो आप जानते हैं कि वो ऐसा जानबूझ कर नहीं कर रहा है।

किसी भी क्षेत्र में हमें श्रद्धा अपनाने की आवश्यकता है। अगर श्रद्धा नहीं है तो कोई भी काम अच्छे से नहीं किया जा सकता। आज यह श्रद्धा भाव कार्य क्षेत्र में अत्याधिक अनिवार्य है। अगर अपने काम के प्रति श्रद्धा ही नहीं है तो कोई भी काम सही ढंग से कैसे किया जा सकता है? श्रद्धा ना होने के कारण काम पर बुरा प्रभाव पड़ता है, और ऐसा क्या है जो श्रद्धा को छीन लेता है। संघर्ष, श्रद्धा में संघर्ष के कारण ही श्रद्धा खो जाती है। जब भी आपका सामना संघर्ष से हो, चाहे वो काम में हो, दोस्तों के साथ हो, परिवार में हो, यां किसी भी क्षेत्र में हो, उसके प्रति indifferent रहो, जैसे कुछ हुआ ही नहीं।

किसी धार्मिक यां आध्यात्मिक क्रिया के साथ भी। कभी कभी आपकी ध्यान करने की, साधना करने की यां प्रार्थना करने की इच्छा नहीं होती। आपको यह ऊबाने वाला लग सकता है। और जब ऐसा महसूस हो तो क्या करें? जब आप किसी कृत से प्रेम करते हैं तो आप उसका निरंतर अभ्यास करते रहते हैं। और जब प्रेम समाप्त हो जाता है तो संघर्ष पैदा हो जाता है। कुछ ऐसे से प्रेम करो जिसे आप नहीं जानते। जिसे आप नहीं जानते उसके प्रति प्रेम श्रद्धा है, भक्ति है।


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