साल २०१२ का स्वागत एक मुस्कान के साथ करिये ~ २०१२ के लिये ७ सूत्र !!!


०१.१२.२०१२

हर साल हम नए साल की शुरुआत करते हैं और चाहते है कि लोग खुश रहें, समृद्ध रहें| समृद्धि का प्रतीक क्या है? समृद्धि का प्रतीक है स्वतंत्रता, एक मुस्कुराहट और लोगों के साथ बाँटने की तत्परता, बिना किसी डर के! समृद्धि का प्रतीक है वह विश्वास और साहस कि आपको जीवन में जो भी चाहिए वह मिल ही जायेगा|
साल २०१२ का स्वागत एक मुस्कान के साथ करिये, जो भीतर से आ रही हो| जैसे हम कैलंडर के पन्ने पलटते हैं, वैसे ही हमें अपने मन को भी पलटने की ज़रूरत है| अक्सर हमारी डायरियां यादों से भरी होती हैं| देखें, कि आप अपने भविष्य की तारीखें पुरानी घटनाओं से न भरें| अपने अतीत से सीखें और भुला दें, और आगे बढ़े!
आप लोभ, घृणा, ईर्ष्या और इन्हीं जैसे बाकी दोषों से मुक्त होना चाहते हैं| अगर मन इन सभी नकारात्मक गुणों को पकड़े रहेगा, तो वह खुश और शांत नहीं रह सकता आप जीवन का आनंद नहीं उठा सकते| तो, पहला कदम है, कि आप यह देखें कि नकारात्मक गुण अतीत की वजह से हैं, और देखें कि अतीत आज आपके जीवन के अनुभव को प्रभावित नहीं कर रहा हैं| अतीत को क्षमा कर दें| अगर आप अतीत को क्षमा नहीं करेंगे तो आपका भविष्य कष्टदायक होगा| इस नए साल किसी ऐसे व्यक्ति से सुलह करें जिसके साथ आपके सम्बन्ध अच्छे नहीं हैं| प्रण लीजिए कि आप अतीत को भूलकर एक नयी जिंदगी की शुरुआत करेंगे|
जब नया साल आये, तब हर किसी को इस संकल्प के साथ बधाई दें, कि इस ग्रह के प्रत्येक व्यक्ति के लिए शांति और समृद्धि हो| आर्थिक मंदी, उभरता आतंकवाद, हर तरफ बाढ़ या अकाल से निपटने के लिये आप और ज्यादा निस्वार्थ सेवा करें| इस बात का एहसास करें कि हमारी सर्वप्रथम प्राथमिकता है कि हम दुनिया में हिंसा पर नियंत्रण करें| हम दुनिया को घरेलू और सामाजिक हिंसा से मुक्त करें| संकल्प लें, कि आप समाज के लिए और अच्छा करेंगे, जिनको ज़रूरत है, ऐसे लोगों की सहायता करेंगे, और जो कष्ट में हैं, उन्हें सांत्वना देंगे| आप राष्ट्र की जिम्मेदारी लें|
जीवन का आध्यात्मिक आयाम अपनेपन का विस्तृत बोध कराता है, जिम्मेदारी, करुणा और पूरी दुनिया की परवाह करना, पूरी मानवता के लिए| आध्यात्मिक आयाम, वास्तविक रूप में जाति, संप्रदाय, धर्म और राष्ट्रीयता की संकीर्ण सीमाओं को कुचल देता है और जो जीवन हर जगह व्याप्त है, उसके बारे में विस्तृत जागरूकता देता है|
इस साल, अपनी भक्ति को और खिलने दें| इसे काम करने का मौका दें| हमें ईश्वर की उपस्तिथि को महसूस करना चाहिए, ईश्वर के प्रकाश को| आपके मन में इसका अनुभव करने की इच्छा होनी चाहिए| क्या आपके मन में ऐसी इच्छा जागी है कि आपको उच्चतम शांति चाहिए? यह पूरी दुनिया इस दैवीय प्रकाश से चल रही है| जब आप गायें या प्रार्थना करें, तो आप उसमे अंतर्निहित हों| अगर मन कहीं और संलग्न हों, तो वह प्रार्थना है ही नहीं|
आप एक उन्मुक्त पंछी की तरह हैं| आप पूरे खुले हुए हैं| ऐसा महसूस करें, कि आप एक पंछी कि तरह उड़ रहें हैं| उड़ना सीखें| यह एक ऐसी चीज़ हैं जो आपको खुद ही अपने अंदर अनुभव करनी है| और कुछ भी नहीं है| अगर आप अपने को बंधा हुआ महसूस करेंगे, तो आप यहीं बंधे रहेंगे| मुक्त हों जाइये| आप स्वंत्रत कब होंगे? अभी स्वतंत्र हों जाईये| बैठ जाइये और तृप्त हो जाइये| ध्यान और सत्संग में कुछ समय व्यतीत करिये जिससे आपकी अंतरात्मा सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हों जाये|

जब मन शांत होता है, तब बुद्धि तेज़ होती है| जब मन में छोटी छोटी चीज़ें, जैसे महत्वाकांक्षाएं, विह्वलता और इच्छाएं होती हैं, तब बुद्धि अपनी उत्सुकता खो देती है| और जब बुद्धि और अवलोकन तेज़ नहीं होती, तब जीवन अपने आप को पूरी तरह व्यक्त नहीं करता, विचार नहीं आते और क्षमताएं दिन प्रतिदिन कम होती जाती हैं| इस समझ से, अपने छोटे मन से बाहर निकलें और यह कदम आपकी जिंदगी की बहुत सी परेशानियों का हल कर देगा| सहज रहें| प्रेम से रहें| अपने आप को सेवा में संलग्न रखें| जीवन को एक उत्सव की तरह मनाएं!

२०१२ के लिये ७ सूत्र
१. इस ब्रह्माण्ड के परिपेक्ष में अपने जीवन को देखे। इससे आप अपने भीतर के छोटेपन को छोड़ पायेंगे और जीवन को खुल कर जी पायेंगे।
  
२. जीवन के उच्चतम लक्ष्य को याद रखे। शिकायत करने के लिये आप यहां नहीं है। आप यहां एक बड़े काम के लिये आये हैं।

३. सेवा करे! जितना अधिक हो सके, अपने आप को समाज के लिये उपयोगी बनाये।

४. यह श्रद्धा और विश्वास रखे कि परमात्मा आपको बहुत प्रेम करते हैं और आपका ख़्याल रख रहे हैं।

५. जैसे हम कैलेंडर पलटते हैं हमें अपने मन को भी पलटना है। भविष्य की तारीखों को अतीत की घटनाओं से भरे। सीखे और आगे बढ़े।

६. और अधिक मुस्कुराए! सफलता की असली निशानी यह है कि चेहरे पर ऐसी मुस्कुराहट हो जो कोई छीन ना सके।

७. संगीत, प्रार्थना और मौन से अपने आप को पुष्ट करे। ध्यान, प्राणायाम और योग से नवजीवन मिलता है, जीवन में गहराई और स्थिरता आती है।


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