ध्यान करने से समस्त वातावरण में उस ऊर्जा का स्पंदन होता है

पिछली पोस्ट के शेष अंश :

हमारे युवाचार्य एक फ़ैक्टरी के लिये लाइसेंस लेने गये, और उन्होंने रिश्वत देने से मना कर दिया। बिना किसी क्रोध के, आत्मविश्वास से उन्होंने कहा, ‘हम Art of Living के सिद्धांतों पर चलते हैं, और हम रिश्वत नहीं देंगे। आप चाहते हैं तो हम आप के पास ५० चक्कर लगायेंगे, पर रिश्वत नहीं देंगे।’ उस व्यक्ति ने बड़ी आसानी से उन्हें लाइसेंस दे दिया। मैं चाहूंगा कि तुम सब ऐसे ही समुह में आगे बड़ो।
यहाँ तुम सब के पास समय और मौका है अपने व्यक्तित्व के बहुमुखी विकास के लिये। अपनी प्रतिभा को बढ़ाओ। हमें योग, प्राणायाम और ध्यान के साथ साथ अपनी प्रतिभा को बढ़ाना है। हम ये करेंगे।
...वाद-विवाद का अभ्यास, पत्रकारिता...कुछ टोलियों को Talk show का अयोजन करना चाहिये। जो लोग सार्वजनिक भाषण देना नहीं जानते, उन्हें यहाँ जन समूह के सामने बोलना चाहिए। जो अच्छे गायक नहीं हैं, उन्हें यहाँ माइक पर आकर गाना चाहिये। जो हम करना जानते हैं, वो तो करते ही रहते हैं। उसमें कोई मज़ा नहीं है। जो काम करना तुम नहीं जानते हो, उसकी शुरुवात करो। जिन्हें खाना बनाना नहीं आता, उन्हें खाना पकाने दो। पर तब उन्हें कुछ समस्या हो सकती है जो खाना खाना जानते हैं! इस तरह हमें जो कार्य करना नहीं आता है, उसके अभ्यास को चुनौती की तरह स्वीकार करना चाहिये।

तुम में से कितनों ने आश्रम में दाखिल होते ही एक ऊर्जा का अनुभव किया? तुम में से बहुत से लोग बहुत लंबी यात्रा कर के आये हैं। कई लोग ३-४ दिन की यात्रा कर के यहाँ पहुंचे हैं। तुम में से कितनों को ये अनूठा लगा कि किसी जगह अंदर आते ही उर्जा से भर गए तुम? तुम्हें पता है ऐसा क्यों हुआ?(गुरुजी, आप की वजह से!)

ऐसा इसलिये है क्योंकि यहाँ लोग ध्यान करते रहे हैं। ध्यान करने से समस्त वातावरण में उस ऊर्जा का स्पंदन होता है। ये ध्यान, ज्ञान और भक्ति का प्रभाव है। तो, हमें यहाँ की ऊर्जा को अच्छा बनाये रखना है, और ऐसा करने के लिये सुबह के कार्यक्रमों में भाग लेना मत भूलना। यहाँ कई तरह के योग होंगे - खेल कूद वाला योग, गांव की महिलाओं वाला योग, नृत्य वाला योग, जानवरों वाला योग, बाल योगा और ज्ञान योग। अपनी और वातावरण की उर्जा बनाए रखने के लिए बहस, चुगली और निंदा से दूर रहना। अगर मन में कोई परेशानी हो, तो उसे लिख कर botheration basket में डाल दो। अगर तुम्हारे कमरे में किसी के खर्राटों से तुम्हें परेशानी हो! ३-४ दिन तक खर्राटों वाले कमरे में रात बिताना मुश्किल हो सकता है! यां तो तुम ear plugs का इस्तेमाल करो, यां फिर हम सभी खर्राटे लेने वाले व्यक्तियों को एक ही कमरे में रखेंगे - और खर्राटों के सुरों की महफ़िल होगी! खर्राटे लेना बुरी बात नहीं है। खर्राटें लेने वाले व्यक्ति आत्मग्लानि ना करें। अगर कई लोग खर्राटे लेते हैं तो उन सब को इक्कठा कमरों में रखेंगे। हां, एक बात का ध्यान रखना होगा कि सभी एक समय पर सो जायें - तभी तो सुरों का संगम संभव है! (सब लोग हंसते हैं।)

यहाँ कोई मेहमान नहीं है। तुम सब मेज़बान हो, और तुम्हें वैसा ही बर्ताव करना चाहिये, मेहमान जैसा बर्ताव नहीं। ये जगह तुम्हारी है। तुम्हें घर जैसा माहौल बनाना है। ऐसा माहौल यहाँ है ही, पर तुम्हें उसमें रमना है, उसे महसूस करना है। तो, यहाँ सब मेज़बान हैं, केवल मैं ही मेहमान हूँ!
इसे अपना घर समझो और पूर्ण विश्राम का अनुभव करो। वैसे भी तुम सब ये जानते ही हो, किसी को कहने की आवश्यकता नहीं है।
जो लोग कवितायें और लेख लिखना चाहते हैं, उन्हें यहाँ रहते हुये ये सब ज़रूर करना चाहिये। बाकी सब तुम्हारे लिए surprise है।


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