बैंगलोर आश्रम, भारत
yes plus Advance course के लिए आए प्रतिभागियों का आश्रम में स्वागत करते श्री श्री रवि शंकर के संवाद
आप सब भी घर आ गए। आप सब के लिए बहुत मस्ती और ज्ञान है यहाँ। आप सब के लिए बहुत सी नई गतिविधियाँ भी हैं।
युवा माने उत्साह, मस्ती, कोई भी काम लेने के लिए तैयार, कुछ नया सृजन करना - यह युवा का लक्षण है। यह सब लक्षण आप लोगों में है। हमारे देश के लिए यह बहुत ज़रूरी है कि यह युवा रवैया लाखों के दिल में हो। इस मामले में हम लोगों को जल्दी से वृद्धि करनी पड़ेगी। भारत में ७ लाख के करीब गाँव हैं। १० भी उत्साहित युवा अगर एक एक गाँव में जाएं तो उस गाँव का शक्ल बदल देगा। वहाँ भ्रष्टाचार को हटा देगा, जातिवाद खत्म कर देगा।
मैं आपको दो उदाहरण दूंगा।
मुम्बई की एक भारतीय महिला फ़्रेंच जानती थी। मेरे पास आकर कहा, "मै फ्रेंच जानती हूँ, मुझे कहीं भेजिए जहाँ मैं जाकर काम कर सकूं"। तो हमने कहा, "ठीके, तुम जहाँ जाना चाहती हो वहाँ जाओ, और सब इंतज़ाम हो जाएगा"। फिर वो आईवरी कोस्ट गई। वहाँ पर दो ईसाई और मुस्लिम गुटों के बीच में झगड़े होते थे, और इतना तनाव था गाँवों में। उन्होने एक गाँव में सबको शिविर कराया और फिर विरोधी गाँव में जाकर शिविर कराया। दोनो को मिलाया। ईसाई लोगों ने मुस्लिम गाँव में जाकर स्कूल बनवाया और मुस्लिम लोगों ने ईसाई गाँव के घरों में शौचालय। इस तरह से दोनो एक दूसरे के काम आ गए, मिल गए और सारा संघर्ष खत्म हो गया। १, २, ३...फिर ऐसे १०-१५ गाँव में समस्या दूर हो गई। आईवरी कोस्ट सरकार ने Art of Living को २००८ में पुरस्कार दिया - Outstanding work । हम लोग एक दो दिन में फ़िल्म भी देखेंगे इस के ऊपर।
आप में से बहुत लोगों ने सुना होगा इसी तरह से महाराष्ट्र के नान्देड़ जिले के खाकियावाड़ी गाँव में किसी जाति का बोर्ड नहीं है। सिर्फ ’दिव्य समाज निर्माण’ का बोर्ड है। और यह काम एक दो लोगों ने अपने हाथ में लिया और ६०० परिवार के गाँव में सबको नव चेतना शिविर, साधना और कोर्स कराए। इतना बदनाम गाँव था वो और अब वहाँ रोज़ सत्संग होता है और कोई भी नशा नहीं है वहाँ। शराब की कोई दुकान नहीं है और हर घर में Smoke less chullah है। गाँव में सब जैविक है, और एक दुकान है जहाँ कोई दुकानदार नहीं है,चीज़ों पर मोल लिखा होता है, लोग ज़रुरत की चीज़ें लेकर डिब्बों में पैसे दाल देते हैं। इस तरह का एक आदर्श गाँव बनाया। इतना बदनाम गाँव था और अब वही एक आदर्श गाँव बना। भारत सरकार ने डेड लाख का इनाम दिया गाँव को और ’स्वच्छ और आदर्श गाँव’ का सम्मान भी।
धारावी के स्लम में भी नक्शा बदल दिया कुछ उत्साहित युवाओं ने। एक बड़िया स्कूल भी खोला वहाँ पर। जो बच्चे सड़क के किनारे घूमते थे अब वो प्रथ्म श्रेणी में पास हो रहे हैं।
दिल्ली के युवक भी अपना अनुभव बताएंगे कि किस तरह उन्होने ’मेरी दिल्ली मेरी यमुना’ के लिए काम किया कि सरकार भी हैरान है।
इस तरह से एक एक युवा में इतनी शक्ति है। हम जोश के साथ होश वाले युवा होंगे। गुस्से के साथ जोश वाले बहुत होते हैं। यह तो बहुत आसान है। मगर हमारी युवा शक्ति होश के साथ जोश वाली होगी। मस्ती के साथ अपना मक्सद पूरा करने वाले होंगे। मक्सद क्या है? देश की प्रगति। कोई इन्सान भूखा ना रहे, दुखी ना रहे और कोई भी ऐसा ना हो जिसे इन्साफ़ ना मिले।
शेष अंश अगली पोस्ट में..(खर्राटों की महफ़िल)
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