बैंगलोर आश्रम, भारत
१८ जुन २०१०
प्रश्न : साधना से मुझे भीतर की खुशी अनुभव होती है। क्या मुझे और खुशी मिलेगी यदि मैं अधिक साधना करता हूँ तो?
श्री श्री रवि शंकर : धीरे धीरे चलना चाहिए। थोड़ा थोड़ा सा अभ्यास करो जिससे शरीर उसका आदी हो जाए। एक दम से १० घंटे ध्यान शुरु करदो, ऐसा नहीं करना चाहिए।
प्रश्न : अष्टावक्र गीता और भगवद् गीता में क्या अंतर है?
श्री श्री रवि शंकर : एक राजमहल में गाया गया था और एक युद्ध भूमि में। तुम खुद ही देख लो दोनो किस तरह के वातावरण में गाए गए? यह ऐसे है जैसे एक गीत की अलग अलग धुन होती हैं। दोनो का अपना महत्व है।
जब जीवन संघर्ष लगे तो भगवद् गीता, और फिर अष्टावक्र गीता।
प्रश्न : मेरे पति ने अभी तक Art of Living का कोर्स नहीं किया है। मैं चाहती हूँ कि वो भी इस ज्ञान का आनंद अनुभव करें। मेरे प्रयत्न के बावजूद भी अभी तक उन्होंने कोर्स नहीं किया है। मुझे क्या करना चाहिए?
श्री श्री रवि शंकर : प्रार्थना करो। वो आ जाएंगे।
प्रश्न : मैं १७ साल की उम्र से ध्यान कर रहीं हूँ। मैने बहुत से अभ्यास किए हैं तब से। ध्यान के लंबे प्रयास के बाद मुझे कई अनुभव भी हुए। पर एक अवस्था के बाद मेरे मन ने काम करना बंद कर दिया। मैं इससे डर गई थी। कृप्या मेरा मार्ग दर्शन करें।
श्री श्री रवि शंकर : तुम लोग जगह जगह जाकर हर तरह की साधना करते हो। जहाँ जो भी सिखाए, सब तरह का कर लिया, और खिचड़ी पका लिया। इसीलिए यह सब होता है। यह मार्ग जो बताया गया है बहुत सुरक्षित है। जितना चाहिए उतना ही करो। जगह जगह जाकर हर तरह की तकनीक इक्ट्ठी करो तो मुसीबत हो जाती है।
प्रश्न : मैं आध्यात्मिक अनुभव करना चाहता हूँ। कई लोग अपने अनुभव सुनाते हैं, मुझे अनुभव कब होगा?
श्री श्री रवि शंकर: अनुभव अपने आप होगा पर उसके लिए लालसा मत रखो।
प्रश्न : जगत और जगदीश को कैसे इकट्ठा रखें?
श्री श्री रवि शंकर : तुमको रखना क्या है? वो तो पहले ही इकट्ठा हैं। साकार रूप में जगत है। निराकार रूप में जगदीश है। वो साथ ही हैं। तुम्हे कुछ भी नहीं करना।
प्रश्न : मैं आपका निस्वार्थ भक्त बनना चाहता हूँ। अब तक तो मैं आपके साथ व्यापार ही कर रहा हूँ। मुझे इसके लिए क्या करना होगा?
श्री श्री रवि शंकर : जो करने की चाह उठी तो मान लो शुरु हो ही गया। कोई हर्ज नहीं व्यापार भी करो तो। सौदा ही सौदा है। पर बाद में तुम ज्यादा ही पाओगे। एक चीज़ दोगे तो दस मिलेगा। तो मस्त रहो। तुम्हे कोई घाटा नहीं होगा।
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