"कुछ शांत होकर भीतर की आवाज़ सुनने से अंतर्ज्ञान बढ़ता है।"


बैंगलोर आश्रम, भारत

प्रश्न : अंतर्ज्ञान (Intuition) क्या है, और इसे बढ़ाया कैसे जा सकता है?

श्री श्री रवि शंकर :
जो ट्यूशन भीतर से मिलती है उसे intuition कहते हैं। भीतर से जो आवाज़ आती है, वो intuition है (Tuition that you get from inside.). अंतर्ज्ञान बढ़ाने का एक ही तरीका है - कुछ शांत होकर भीतर की आवाज़ सुनना।

प्रश्न : कृपया सफलता और असफलता के बारे में बताइये।

श्री श्री रवि शंकर :
असफलता, सफलता की दिशा में एक कदम है। सफलता तुम्हारी क्षमता के एक अंश की अभिव्यक्ति है। सफलता में तुम ने अपनी क्षमता की एक छोटी सी झलक मात्र दिखाई है।

प्रश्न : आजीविका कैसे चुनें?

श्री श्री रवि शंकर :
चुनाव तुम्हारा है, आशीर्वाद मेरा! आज के समय में ये चुनाव मुश्किल और भ्रमित करने वाला है। Engineering, medical, architecture, charted accountancy, इत्यादि, से चुनना कुछ कठिन है, खास तौर पर जब तुम एक से अधिक विषयों में निपुण हो। इस चुनाव की प्रक्रिया में कुछ देर पको, पर ये ज़रूरी है कि तुम जो भी चुनो उसमें अपना १०० प्रतिशत दो।
कई बार ऐसा होता है कि तुम ने medical का चुनाव किया, पर बाद में ऐसा लगता है कि engineering को चुनना चाहिये था। यां तुम ने engineering का चुनाव किया और बाद में तुम्हें लगता है कि chartered accountancy को चुनना चाहिये था। ये सब भ्रम है। सभी व्यवसाय एक जैसे ही हैं।

प्रश्न : क्या हर साथी भी एक जैसा होता है? क्या आत्मिक जीवन साथी होता है?

श्री श्री रवि शंकर :
पहले तुम अपनी आत्मा से मिलो, बाकी सब उसके बाद अपने आप हो जायेगा। अगर तुम अपनी आत्मा से मिल लोगे तो कई लोग आकर तुम से कहेंगे कि तुम उनके आत्मिक जीवन साथी हो। तब उन में से एक को चुन लेना।

प्रश्न : दुनिया में इतनी हिंसा और प्राकृतिक आपदायें हो रहीं हैं। भगवान ऐसा क्यों होने देते हैं? अगर भगवान हैं, तो ये सब क्यों हो रहा है?

श्री श्री रवि शंकर :
कुछ पौधों की सुंदरता को बढ़ाने के लिये तुम उनकी टहनियों और पत्तों की कटाई छटाई करते हो। क्या तुम गुलाब के पौधे की कटाई छटाई नहीं करते हो? वो पौधा बढ़ता है। उसी प्रकार से प्रकृति किसी बड़ी परियोजना के तहत ऐसा करती है ।नारियल के पेड़ से हमेशा पके हुये फल ही नहीं गिरते हैं। कभी कभार छोटे नारियल भी गिर जाते हैं। समुद्र में बड़ी मछलियां छोटी मछलियों को निगल जाती हैं। तो, ये प्राकृतिक आपदायें भी प्रकृति का हिस्सा हैं।

अगर हम प्रकृति का शोषण करते हैं, तो प्राकृतिक आपदायें बढ़ जाती हैं। हम धरती में dynamite लगाते हैं। धरती में विस्फोट करते हैं। इससे असंतुलन पैदा होता है और धरती हिलने लगती है। आज संतुलित विकास की ज़रुरत है। हमें धरती ग्रह की देखभाल करने की ज़रूरत है। प्रकृति नियमों के तहत चलती है। भगवान का अर्थ है - नियम कानून। सब उसी के मुताबिक चलता है। धरती ग्रह की देखभाल और सुरक्षा बहुत आवश्यक है।
एक तो प्राकृतिक आपदा होती है, और एक होता है मानवकृत आपदा। मानवकृत आपदा को होने से रोका जा सकता है। छोटे से फ़ायदे के लिए लोग इंसान की कीमत नहीं करते। मानवीय गुणों को समाज में वापिस लाने की आवश्यकता है।

प्रश्न : भगवान से अपनी प्रार्थना का उत्तर कैसे पा सकते हैं?

श्री श्री रवि शंकर :
विश्वास रखो कि भगवान तुम्हारी प्रार्थना का उत्तर देंगे, और जो तुम्हारे लिये अच्छा होगा वही करेंगे।

प्रश्न : कभी कभी मेरे माता पिता कहते हैं कि मुझे इतनी छोटी उम्र से ही ध्यान नहीं करना चाहिये। ऐसी बातों का क्या जवाब दूं?

श्री श्री रवि शंकर :
मुझे ये समस्या नहीं आई थी! ऐसी बात का क्या जवाब हो सकता है? उनसे कहो कि उनकी उम्र तुम्हारे जैसी कम नहीं है, तो वो क्यों नहीं ध्यान करते? जब वे ध्यान करना शुरु करेंगे तो वे समझ जायेंगे कि ध्यान तुम्हारे लिए भी है। कई लोग जब ध्यान करना शुरु करते हैं, तो पश्चाताप करते हैं। तुम्हें पता है उन्हें किस बात का पश्चाताप होता है? वो ये सोच कर पश्चाताप करते हैं कि उन्होंने तुम्हारी उम्र से ही ध्यान करना क्यों नहीं शुरु किया।

प्रश्न : आध्यात्म क्या है?

श्री श्री रवि शंकर :
तुम पदार्थ और आत्मा, दोनों ही हो। क्या तुम केवल पदार्थ हो? तुम्हारा शरीर पदार्थ से बना है - carbohydrates, minerals, amino acids, इत्यादि। तुम्हारी आत्मा बनी है आनंद, शांति, उत्साह, बुद्धि और कुछ विकारों से जैसे कि क्रोध।

जो भी कुछ आत्मा का विकास करता है, आध्यात्म है।

जो भी कुछ तुम में ऊर्जा लाता है, आध्यात्म है।

जो भी कुछ तुम्हें बुद्धिमान बनाता है, आध्यात्म है।

जो भी कुछ तुम्हारी प्राण शक्ति को बढ़ाता है, आध्यात्म है।

जो भी कुछ तुम में सेवा और करुणा का भाव लाता है, आध्यात्म है।

जो भी कुछ तुम्हें विश्व की आत्मा से जोड़ता है, आध्यात्म है।

प्रश्न : आपके उपदेश अच्छे लगते हैं, पर कभी कभी इन्हें जीवन में लागू करना कठिन लगता है। मैं क्या करूं?

श्री श्री रवि शंकर :
ऐसा कुछ मत करो जो तुम्हें कठिन लगे। आराम से रहो। आध्यात्म से सब आसान हो जाता है। Art of Living में सब कुछ जीवन को आसान बनाता है। ऐसी कुछ चीज़ें होती हैं जो शुरु में आसान लगती हैं पर आगे चल कर कठिन हो जाती हैं। कुछ दूसरी चीज़ें ऐसी होती हैं जो शुरु में कठिन लगती हैं, पर आगे चल कर सब कुछ आसान कर देती हैं। आध्यात्म इस दूसरी श्रेणी की चीज़ है।
जब तुम बच्चे थे तो तुम से ज़बरदस्ती दांत मंजवाये जाते थे। अगर तुम उस दौर से ना गुज़रे होते तो तुम्हारे दांतों की आज क्या हालत होती? आधे दांत अब तक गिर गये होते!
इसी तरह, तुम्हें शुरु में कठिन लग रहा होगा, पर आगे चल कर ये जीवन को आसान बनाता है।

प्रश्न : संशय के बारे में कुछ बताइये?

श्री श्री रवि शंकर :
जब शरीर में प्राण कम होते हैं तो संशय उठता है। इसके बारे में मैंने पहले भी बताया है ना? तुम हमेशा किसी सकरात्मक बात पर शंका करते हो। अगर कोई कहता है, ‘मैं तुम से प्रेम करता हूं,’ तो तुम उस पर शंका करते हो। जब कोई तुम्हारे प्रति नफ़रत जताता है, तो तुम उस पर कभी शंका नहीं करते हो। तुम प्रेम पर शंका करते हो, क्रोध पर नहीं। तुम अपनी क्षमताओं पर शंका करते हो, अपनी कमज़ोरियों पर नहीं। तुम्हें पक्का यकीन होता है कि तुम क्या क्या नहीं कर सकते हो। तुम अपनी खुशी पर शंका करते हो। तुम विषाद पर शंका नहीं करते हो। तुम किसी की ईमानदारी पर शंका करते हो। तुम किसी की बेइमानी पर शंका नहीं करते हो। इस तरह तुम शंका की प्रकृति को देखोगे, तो पाओगे कि हमेशा किसी सकरात्मक बात पर ही तुम शंका करते हो।

प्रश्न : आध्यात्मिक साधना करने के लिये शाकाहारी बनना क्यों आवश्यक है? क्या आध्यत्मिक साधना करने के लिये मुझे proteins की आवश्यकता नहीं है?

श्री श्री रवि शंकर :
इसके लिये एक नहीं, कई कारण हैं। जानवरों में प्रकार होते हैं। कुछ जानवर मरे हुये जानवर खाते हैं, पर ऐसे जानवर बहुत कम हैं। कुछ जानवर खुद शिकार को मार कर ताज़ा मांस खाते हैं। कुछ जानवर केवल शाकाहारी भोजन खाते हैं। हाथी, जो कि धरती सब से ताकतवर जानवर है, शाकाहारी है। घोड़ा, गाय, गोरिल्ला, हिप्पोपौटामस..सभी शाकाहारी हैं। तो, तुमने ये प्रकृति देखी। हमारी संरचना शाकाहारी भोजन के लिये बनी है।
इस के कई तर्कसंगत और वैज्ञानिक कारण हैं। दुनिया भर में लोग शाकाहारी होते जा रहे हैं। तुम अपने पेट को एक कब्रिस्तान नहीं बनाना चाहोगे। तुम अपना आहार बदल कर अपने को बुद्धिमान और प्रतिभावान बना सकते हो। अधिकतर वैज्ञानिक, ख़ासतौर पर मेधावी बुद्धि वाले जैसे कि आइन्स्टाइन, शाकाहारी थे।

शेष अंश अगली पोस्ट में..

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