बैंगलोर आश्रम, भारत
अष्टावक्र गीता के अधिवेशन के बाद उत्तर प्रदेश के एक गाँव के किसान का गैर रासायनिक खेती का अनुभव सब के साथ बाँटा गया। उसने ’आर्ट ओफ़ लिविन्ग’ के बीज बैंक से प्राकृतिक बीज लिए। रासायनिक खेती से गैर रासायनिक खेती शुरु करने में उसमे पहले थोड़ी झिझक थी। पर वह परिणाम से खुश था। जहाँ रासायनिक खेती से गेहूँ में केवल २८ बीज ही होते हैं, गैर रासायनिक खेती से हुई गेहूँ की उपज में ५८ बीज थे।
बीज बैंक प्रयोजना के अंतर्गत किसानो को निशुल्क बीज दिए जाते हैं। अगले वर्ष किसान दुगने बीज वापिस करता है जो की और किसानों में निशुल्क बाँटे जाते हैं।
श्री श्री ने गैर रासायनिक खेती का महत्व बताते हुए कहा कि रासायनिक बीज और खाद इस्तेमाल करके उगाई जाने वाली फ़सलों के उपयोग के कारण हमारे शरीर के विभिन्न हिस्सों मे दर्द शुरु हो जाता है, और शरीर में toxins जमा होते हैं। गैर रासायनिक खेती से ही आने वाली पीड़ी निरोग मुक्त रह पाएगी। इसके बारे में सजगता फैलाना भी आध्यात्म का हिस्सा है।
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