योग आपको पुनः सहज बनाता है !!!


४.१२.२०११ बैंगलुरू आश्रम 


अंतर्राष्ट्रीय  योग सम्मलेन

योग के विभिन्न संप्रदाय के सम्मानीय गुरुओं ने द आर्ट ऑफ लिविंग अंतर्राष्ट्रीय  केंद्र में अंतर्राष्ट्रीय  योग सम्मलेन का उद्घाटन किया|

सभी  संप्रदायओं  के सम्मानीय गुरुओं को एक मंच पर लाने में श्री श्री रविशंकर जी का प्रमुख योगदान रहा| इस सम्मलेन में योग गुरुओं ने निम्न विषयों पर विचार विमर्श किया :
१. योग के ज्ञान की शुद्धता और प्रमाणिकता को बनाये रखते हुए इसे दुनिया के प्रत्येक हिस्से  तक पहुँचाना
२. योग द्वारा शारीरिक और मनोभाव की सेहत
३. योग द्वारा मानसिक सेहत
४. योग गुरूओं  की चुनौतियां

श्री श्री रविशंकर जी ने सभा को इन ज्ञान शब्दों से किया आरम्भ किया –

योग हमारे सभी प्राचीन धर्मग्रंथों में मौजूद  है| ज्योतिष, आयुर्वेद, वेदान्त, सब में योग  व्याप्त है| योग ही सभी  कार्य का आधार है और इस संयोग को हमारे वेदों में भी महत्व दिया गया है|
आज हमारे बीच योग के धर्मशास्त्री भी हैं, और योगी भी हैं| इस से अधिक कोई और क्या चाह सकता है?

जहां भी योग और वेदान्त हैं, वहाँ कोई आभाव नहीं है, कोई अन्याय नहीं है, अज्ञान नहीं है, कोई अशुद्धता नहीं है| इन चार चीज़ों से हमें समाज को मुक्त कराना है  - अज्ञान, अभाव, अन्याय, और अशुद्धता| और इस प्रकार योग आपको पुनः बच्चे के जैसे पुनः सहज बनाता है|

योग के विभिन्न प्रकार हैं – कर्म योग, ज्ञान योग, भक्ति योग| भगवद गीता आरम्भ से अंत तक योग ही है, और इस सब का एकीकरण, सब कुछ साथ ले कर जीवन में आगे बढ़ना अनिवार्य है|

आज हमारे बीच इतने महान विशेषज्ञ हैं, और यह बहुत ही महान दिन है| सब योगियों की उपस्थिति मात्र से ही लक्ष्य सिद्ध हो जायेगा | हमें बहुत आशीष मिले हैं और हम और भी आशीष प्राप्त करेंगे|
इस लिए, जब आप यहाँ से बाहर जायेंगे, तो आपका भी बच्चे जैसा सरल मन और भोलापन होगा जो बहुत आवश्यक है | एक भोला मन, एक साफ़ दिल और विशुद्ध कर्म आवश्यक होता हैं |
भगवान श्री कृष्ण कहते हैं, “योगिनाम अपि सर्वेसम मद-गतेनान्तारात्मन”, उस सब योगियों में से, जो योगी मुझे अपने दिल में रखता है, वह  मेरे दिल में बसता है| वह जिसने मुझे अपने दिल में रखा है, वह  प्रत्येक कार्य में उत्तम होगा | इसलिए, भक्ति बहुत महत्वपूर्ण है|

आज भक्ति योग, ज्ञान योग और विज्ञान योग, सब एक साथ हुए हैं| यह बहुत बड़ा सौभाग्य हैं  ! इसलिए, सम्मलेन का आनंद लीजिए और याद रखें कि आप पर एक बड़ी जिम्मेदारी है, इसे प्रत्येक  घर तक ले जाने की| संसार को दुःख से, पीड़ा से मुक्त कराने की| भगवान आपको आशीर्वाद दे रहे हैं, और देते रहेंगे!

योग गुरुओं ने एक उद्घोषणा पर भी हस्ताक्षर किये कि यू एन २१ जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित करे |

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