आप कर्म की गहराई को नहीं समझ सकते, यह अत्यंत विशाल है


१८ दिसम्बर २०११, बैंगलुरू आश्रम

यदि आप संसार को देखते हैं, तो फिर आप देवत्व को देखने के लिए सक्षम नहीं हैं| यदि आप दिव्यता अनुभव करना चाहते है, तो आपको अपने मन को भीतर की ओर लेना होगा|
संसार का क्या अर्थ है? सीमित पहचान, जीवन के बारे में सीमित समझ और लोगों को उनके बाहरी व्यवहार के आधार पर पहचानना|आप किसी भी व्यक्ति के भीतर के 'स्व' को देखने में असमर्थ हैं|
उदाहरण के लिए, यहाँ कई तरह की रंगीन रोशनी है|यदि आप सिर्फ रोशनी को देखते हैं, तो क्या आप बिजली को देखने के सक्षम होते है जो कि रोशनी के माध्यम से बहती है? इसी तरह, यदि आप सिर्फ लोगों के बाहरी व्यवहार को देखेंगे, तो आप यह नहीं देख सकते कि सब में एक ही चेतना है| तो, यदि आप दिव्यता का अनुभव करना चाहते हैं, तो आप अपने मन को बाहरी दुनिया से दूर करे| मन दूर करने से यह अर्थ नहीं है कि आप भाग कर एक जंगल में रहने लगे|
थोड़ी देर के लिए अपने मन को भीतर की ओर करे| आप अराजकता और संघर्ष से बाहर जाये जो कि आपके मन में रुकावट पैदा करते हैं|इस प्रक्रिया को ध्यान कहा जाता है| बस थोड़ी देर के लिए लगता है, कि अतीत, वर्तमान और भविष्य एक सपना है| जब आप जानते हैं कि सब कुछ बदल रहा है, तो आप पायेंगे कि कुछ है जो नहीं बदल रहा है, और उसकी की एक झलक पाने के सक्षम हो जाएगे|जैसे आप एक अच्छी नींद के बाद ताजा महसूस करते हैं, थोडा समय ध्यान में बिताने के बाद आपके जीवन में ऊर्जा और उत्साह आ जाएगा| चिंता गायब हो जाएगी|

प्रश्न: मैं एक अनेस्थेसिओलोजिस्ट (संवेदनाहरण विज्ञान का विशेषज्ञ) हूँ और मैं अन्य चिकित्सकों के साथ काम करता हूँ| मैंने देखा है कि वे पैसे के लिए युवा महिलाओं पर गर्भीशयच्छेदन करते हैं| यह एक अपराध है जो कि मादा भ्रूण हत्या से भी बदतर है| मैंने इस मामले की सूचना दी है, लेकिन मेरे दोस्त मुझे हतोत्साहित कर हे है कि मुझे इस मुद्दे में नहीं ना चाहिए| मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं इस अपराध का विरोध रु या कुछ नही रु|
श्री श्री रविशंकर: आपको इसका विरोध करना चाहिए|हमे अन्याय के खिलाफ लड़ना है| हमे अज्ञानता, अंधविश्वास और अंधे विश्वासों के खिलाफ लड़ना है|
कई लोगों को भ्रम है कि वे रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करके एक अच्छा उत्पादन प्राप्त कर लेगे|हमे उन्हें शिक्षित करना है कि वे जैविक, और रासायनिक मुक्त खेती करे| हमे अभाव के खिलाफ लड़ना होगा| सब लोगो को अपने घरों में सब्जियां उगानी चाहिए| हमे सफाई और स्वच्छता सुनिश्चित करनी हैं |

प्रश्न: मुझ मे इतना गुस्सा है कि यह मेरे जीवन को बर्बाद कर रहा है| मैंने सुदर्शन क्रिया
दिन पहले ही सीखी है|मैं क्रिया के बाद कुछ घंटे के लिए शांत रहती हूँ, लेकिन मैं नहीं जानती कि उसके बाद क्या होता है|मैं अपने पति के साथ अनावश्यक लड़ती हूँ|मेरा मन करता है की मैं आत्महत्या कर लू|
श्री श्री रविशंकर: चिंता मत करो, अपना अभ्यास जारी रखो|सब कुछ ठीक हो जाएगा|समस्या का
आत्महत्या के बाद अंत नहीं है|जब भी आपको ऐसे विचार आते है, आपको सा कोई भी कदम उठाने से पहले गुरुजी की अनुमति लेनी है|

प्रश्न: आपने उल्लेख किया है कि भगवान श्रीकृष्ण आनन्द से परिपूर्ण थे| वह सभी परिस्थितियों में खुश थे| लेकिन, आज की स्थिति में, मैं उस तरह जीने में सक्षम नहीं हूँ|
श्री श्री रविशंकर: आप कम से कम कुछ समय के लिए इस का पालन करने में सक्षम हैं, क्या यह ठीक है? एक कहावत है, 'कृष्ण की तरह सोचो लेकिन राम के नक्शे कदम पर चलो|'
यदि आप भगवान कृष्ण के नक्शे कदम पर चलोगे, तो आप मुसीबत में जाओगे! भगवान कृष्ण के सिद्धांतों और भगवान राम के चरित्र का पालन करें|यदि आपको कोई भी तनाव है, बस उन्हें यहा छोड दे| खुशी और संतोष हमारी प्रकृति हैं , लेकिन यह थोड़ी देर के लिए चिंता से छुप जाता है, जैसे बादल आकाश छुपा लेते हैं |

प्रश्न: यदि पूरा अस्तित्व एक है तो क्या कर्म का एक संयुक्त खाता है?
श्री श्री रविशंकर: हाँ, कर्म कई प्रकार के हैं|
. सामूहिक कर्म
. समय के कर्म
. जगह के कर्म
. परिवार के कर्म
. व्यक्तिगत कर्म
व्यक्तिगत कर्म है, परिवार के कर्म है, जिसे आप डी एन ए कहते हैं| उस के बाद एक क्षेत्र, राज्य और देश का कर्म आता है|
उस के बाद समय का कर्म है| द्वितीय विश्व युद्ध के समय, सभी लोगों का कर्म एक जैसा था और सलिये दुनिया भर में युद्ध था|
एक और विशेष समय हर जगह मंदी का समय था|
कर्म की विभिन्न परतें हैं|
यही कारण है कि भगवान श्रीकृष्ण ने कहा, गहन कर्मणो गतिह| आप कर्म की गहराई की माप नहीं कर सकते हैं| कर्म का विश्लेषण करने की कोशिश मत करे
| बस अपना कर्तव्य रे और आगे बढ़े| अपने दिल में प्यार के साथ और अपने दिल में प्रार्थना के साथ आगे बढ़ते रहे|
यह जानते हुए कि जो भी है बस यही है, आप उसके पार चले जाते है| केवल ज्ञान है जो आपको कर्म से परे ले जा सकता है| एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया और विमान में सब की मृत्यु हो गयी
| तो वे सभी जिन का कर्म एक जैसा था, वे उसी विमान में आ गये| यदि किसी व्यक्ति का कर्म उस से बचने का था, वह उस विमान में नही बैठेगा| एक संत ने मुझे बताया कि वह एक बस में ऋषिकेश से 0 अन्य लोगों के साथ यात्रा कर रहा था| बस एक नदी में गिर गई|उस संत और एक बच्चे को छोड़कर हर कोई की मृत्यु हो गयी| बच्चा उसकी गर्दन पर लटक गया और वे बच गए|वह कर्म के कारण एक नदी में गिर पड़ा, लेकिन कुछ है जिसने उन्हें बचाया| आप कर्म की गहराई को नहीं समझ सकते, यह अत्यंत विशाल है |

प्रश्न: गुरुजी, जब कोई अपना कैंसर (कर्क रोग) के साथ निदान किया जाता है, उन्हें सांत्वना देने के लिये हम क्या कहते हैं और हम क्या कर सकते हैं?
श्री श्री रविशंकर: उन्हें 'ॐ नमः शिवाय' का जप करने के लिये कहे|
यदि यह कैंसर (कर्क रोग) दूसरे या तीसरे चरण में है तो कोई समस्या नहीं होनी चाहिए|आजकल, यहाँ इतनी सारी चीज़ें उपलब्ध हैं|
र्सौसोप फल (राम फल) पक्ष प्रभाव के बिना कीमोथेरेपी के रूप में ही कार्य करता है| इससे नी कुछ दवा उपलब्ध है|
योग, प्राणायाम और आयुर्वेद इस में एक महत्वपूर्ण अंतर लाएगा|कई कैंसर(कर्क रोग) से पीड़ित लोगों ने यहाँ आने के बाद आराम पाया है| भगवान में विश्वास रखे|

प्रश्न: गुरुजी, कृपया जाप और संकीर्तन के बारे में कुछ बात किजिये?
श्री श्री रविशंकर: जब कोई किसी के साथ प्यार में है, वे अपनी प्रेमिका का नाम दोहराते रहते हैं, से जाप कहा जाता है|और जब वे अपनी प्रेमिका का नाम गाना गाकर लेते है, से संकीर्तन कहा जाता है|
हर कोई एक समय या अन्य गुनगुनाता है, चाहे नाहाते समय या कुछ काम करते समय यह संकीर्तन है, जब गीत दिल से उठता है| जब किसी का नाम दिल में आता रहता है, यह जाप कहलाता है| जाप अच्छा है, चाहे मन गा हुहै या नहीं, इसका अपना एक स्वाद है|

प्रश्न: गुरुजी, कभी कभी ऐसा होता है कि माता पिता के संस्कार रूप से उनके वंश के लोगों से अलग हैं| और भले ही बच्चे आर्थिक रूप से सुरक्षित है, मूल्यों की वजह से, व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन बर्बाद हो जाता है और इस प्रक्रिया में माता पिता का जीवन भी मुश्किल हो जाता है| ऐसी स्थिति में क्या किया जाना चाहिए?
श्री श्री रविशंकर: बस लोगों में ज्ञान और जागरूकता ला कर| जब तक वहाँ आध्यात्मिक ज्ञान नहीं है, ही होता है| वे दुनिया में उलझ जाते है, और एक दूसरे के साथ भी|वे एक दूसरे को समझ नहीं सकते या खुद को भी और दूसरों को मुसीबत में डाल देते हैं और खुद को भी|
इसलिए, लोगों को धर्म के मार्ग पर लेकर आये|
यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि बच्चों को आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान की जाये| यदि हम उन्हें इससे वंचित रखेंगे, और सिर्फ दैनिक अस्तित्व के सांसारिक मुद्दों में अटके रहेंगे, तो जीवन सूखा और अर्थहीन हो जाता है, और लोगों में झगड़े होते हैं|
तो लोगों को योग और ध्यान में लाकर एक क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की जरूरत हैं| वे निश्चित रूप से बदल जाएगें लेकिन ज्ञान ही एक रास्ता है|

प्रश्न:जय गुरूदेव, तथ्य यह है कि खुशी सिर्फ मन की एक अवस्था है को समझने के बाद एक व्यक्ति को एक स्थानीय जगह में एक सफाई कर्मचारी होने के बजाय एक विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक क्यों नने की इच्छा होती है?
श्री श्रीरविशंकर: फिर कोई पूछ सकता है एक सफाई कर्मचारी क्यों नना चाहिए बजाये एक वैज्ञानिक बनने के?! यहाँ
अलग चीजें हैं, जो कोई प्रसिद्ध हो जाता है सिर्फ प्रसिद्धि बनने के लिए लालसा नहीं करता है, लेकिन वे कुछ अच्छा करते हैं, जिसके कारण वे मशहूर हो जाते हैं|जैसे कि यदि आपको चित्र बनाने के लिए एक जुनून है और आप एक बहुत अच्छा चित्र बनाते हैं, स्वतः ही आप प्रसिद्ध हो जाएगे| लेकिन यदि आप केवल प्रसिद्धि के लिए चित्र बनाते हैं, तो आप विफल हो जाएगे|
जो कोई रचनात्मक या कुछ उपयोगी कम करता है या कुछ आविष्कार करता है जो समाज के लिए अच्छा है वह अपने आप प्रसिद्ध हो जाता है|

प्रश्न: गुरुजी, मैं आप से पूछना चाहता था क्या अच्छा है और क्या बुरा है? और मैं यह कैसे जान सकता हूँ जो चीजें जीवन में, मैं कर रहा हूँ, वे अच्छी है या बुरी?
श्री श्री रविशंकर: एक बहुत ही सरल परिभाषा से पता कर सकते है क्या अच्छा है और क्या बुरा है|
१. जो कि आप नहीं चाहते की दूसरे आप के प्रति करे वह बुरा है और जो कि आप चाहते हैं दूसरे आप के प्रति करे वह अच्छा है|
२. जो आपको अल्पावधि खुशी और लंबे समय तक दुख देता है वह बुरा है| जो कुछ आपको लंबे समय खुशी और अल्पकालिक समस्या देता है वह अच्छा है|


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