शरीर में ऊर्जा के चार स्रोत होते हैं। पहला स्रोत
भोजन होता है। भोजन का सेवन पर्याप्त मात्रा में होने से आपके शरीर में ऊर्जा
उत्पन्न होती है। अधिक भोजन करने से आप आलस महसूस करते हैं। कम मात्रा में भोजन
ग्रहण करने से आप शरीर में कमजोरी महसूस करते हैं। हम दो से ७ दिन बिना भोजन के रह
सकते हैं। ऊर्जा का दूसरा स्रोत पर्याप्त मात्रा में नींद या निद्रा है। एक स्वस्थ
व्यक्ति को ६ से ८ घंटे की नींद पर्याप्त है। इतनी नींद लेने से आप सुबह ताजगी
महसूस करते हैं। यदि आप ज्यादा नींद लेते हैं तो दिन भर सुस्ती या स्फूर्तिहीनता महसूस
करते हैं। यदि नींद में कमी हैं तो दिन भर शरीर में गर्मी और चिड़चिड़ापन महसूस
करते हैं। आप नींद या निद्रा के बिना एक से दो दिन रह सकते हैं।
ऊर्जा का तीसरा स्रोत ज्ञान। ज्ञान आप में सजगता
लाती है और हम किसी वस्तु, परिस्थिति, घटना और भावना से खुश या
परेशान एवं दुखी नहीं होते। ज्ञान के अभाव में व्यक्ति किसी वस्तु, परिस्थिति, घटना और भावना से या तो बहुत खुश या दुखी हो जाता है। अधिक ज्ञान होने से व्यक्ति
कई बार अहंकारी हो जाता है और यह समझने लगता है कि उससे ज्यादा ज्ञान किसी में
नहीं है और उसे जो ज्ञान में जो भी अनुभूति हुई है वह किसी और व्यक्ति में हो ही
नहीं सकती है। परन्तु ज्ञान के अभाव में जीवन चलता है परन्तु व्यक्ति दुखी होकर
जीवन व्यतीत करता है।
ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है सांस या आपकी श्वास। सांस
के अभाव में आप एक पल भी जीवित नहीं सकते। आपको आपकी सांस के प्रति कोई सजगता नहीं
है। आप अपने मन को सांस के द्वारा वश में कर सकते हैं| सांस आपकी प्राण शक्ति या
आत्मा और शरीर को ऊर्जा देती है। सांस ही जीवन है और सांस के प्रति सजगता जीवन
जीने की कला है।
सांस या ष्वास ही जीवन है। उसके प्रति सजग हो जायें।
यही जीवन है और सांसों के प्रति सजग होना जीवन जीने की कला है।
© The Art of Living Foundation