बैंगलुरू आश्रम
प्रश्न: गुरुजी, शिव सूत्र में आपने कहा है ‘ज्ञानम बंधनम’| मैं उलझन में हूँ, ज्ञान हमें मुक्त करता है या हमें बंधन में डालता है?
श्री श्री रविशंकर: जब आप ध्यान के बाद अपने शरीर और आसपास के बारे में सजग होते हैं तो अपने सीमित मन से सीमित चीजों को समझ सकते हैं |
एक समय में आप केवल इतिहास, गणित, भौतिकी या रसायन शास्त्र समझ सकते हैं| एक समय में आप केवल एक ही चीज समझ सकते हैं | एक विशेष चीज का ज्ञान आपके मन को ज्ञान की विशालता के बजाए एक क्षेत्र में सीमित कर देता है|
वह सीमित ज्ञान, बंधन है |
श्री श्री रविशंकर: जब आप ध्यान के बाद अपने शरीर और आसपास के बारे में सजग होते हैं तो अपने सीमित मन से सीमित चीजों को समझ सकते हैं |
एक समय में आप केवल इतिहास, गणित, भौतिकी या रसायन शास्त्र समझ सकते हैं| एक समय में आप केवल एक ही चीज समझ सकते हैं | एक विशेष चीज का ज्ञान आपके मन को ज्ञान की विशालता के बजाए एक क्षेत्र में सीमित कर देता है|
वह सीमित ज्ञान, बंधन है |
प्रश्न: यदि हम अपने इरादे और कार्य से शुद्ध हैं और हमें विरोधाभास रूप में माना जाता है और दोषी ठहराया जाता है, तो हमें क्या करना चाहिए?
श्री श्री रविशंकर: इस सब के बीच बस मुस्कुराते रहे | दूसरे क्या दोष दे रहे हैं, इस के बारे में चिंता न करे | आपको चुप भी नहीं रहना चाहिए, आपको उन्हें समझाना चाहिये और नजरअंदाज करना चाहिए |
श्री श्री रविशंकर: इस सब के बीच बस मुस्कुराते रहे | दूसरे क्या दोष दे रहे हैं, इस के बारे में चिंता न करे | आपको चुप भी नहीं रहना चाहिए, आपको उन्हें समझाना चाहिये और नजरअंदाज करना चाहिए |
प्रश्न: गुरुजी, एडवांस कोर्स (पार्ट २ कोर्से) दिमाक से दिल के लिए एक यात्रा है| अध्यात्म में तर्क की क्या जगह है?
श्री श्री रविशंकर: तर्क का एक बहुत महत्वपूर्ण स्थान है| तर्क के माध्यम से ही आप अध्यात्म में आते
हैं| तर्क आपको बताता है कि जीवन क्या है और दुनिया क्या है और कैसे आप अपना समय बर्बाद कर रहे हैं|
यह सभी तर्क के माध्यम से आता है| और एक तार्किक दिमाग कहता है, 'नहीं, समय बर्बाद नहीं करना चाहिए| जीवन छोटा है, सब कुछ अल्पकालिक है| ' यहाँ अतीत के बारे में चिंता या भविष्य के बारे में सोचने का कोई मतलब नहीं है, यह तर्क है|
तो तर्क आपको आध्यात्मिकता के द्वार पर लाता है और इसलिये तर्क महत्वपूर्ण है| लेकिन यह केवल आपको द्वार पर लाता है, आप द्वार पर सो नहीं सकते हैं| आपको घर में प्रवेश करना है| तो यह घर में प्रवेश करने के लिए पहला कदम है|
यह सभी तर्क के माध्यम से आता है| और एक तार्किक दिमाग कहता है, 'नहीं, समय बर्बाद नहीं करना चाहिए| जीवन छोटा है, सब कुछ अल्पकालिक है| ' यहाँ अतीत के बारे में चिंता या भविष्य के बारे में सोचने का कोई मतलब नहीं है, यह तर्क है|
तो तर्क आपको आध्यात्मिकता के द्वार पर लाता है और इसलिये तर्क महत्वपूर्ण है| लेकिन यह केवल आपको द्वार पर लाता है, आप द्वार पर सो नहीं सकते हैं| आपको घर में प्रवेश करना है| तो यह घर में प्रवेश करने के लिए पहला कदम है|
प्रश्न: गुरुजी, आदतों पर काबू पाने के लिए आपने कहा है की एक प्रण लेना चाहिए | यह प्रण क्या है?
श्री श्री रविशंकर: यदि आपको कोई भी बुरी आदत है, तो आप एक प्रण ले सकते हैं|
यदि आपको नकारात्मक दिशा में बात करने की आदत हैं, तो आप कहते हैं, 'आज मैं नकारात्मक बात नहीं करूँगा| मैं किसी के बारे में शिकायत नहीं करूँगा| '
श्री श्री रविशंकर: यदि आपको कोई भी बुरी आदत है, तो आप एक प्रण ले सकते हैं|
यदि आपको नकारात्मक दिशा में बात करने की आदत हैं, तो आप कहते हैं, 'आज मैं नकारात्मक बात नहीं करूँगा| मैं किसी के बारे में शिकायत नहीं करूँगा| '
तो इस तरह के कदम उठाने से बड़ा फर्क पड़ता है|
यदि आप ज्यादा खाने के शौक़ीन हैं, तो आप एक निश्चय कर लें, ठीक है मैं एक सप्ताह के लिए ज्यादा नहीं खाऊँगा| मैं केवल थोडा ही खाना खाऊँगा| यह एक प्रण है|
प्रश्न: जब कोई कार्य की बात
“मैं यह करना चाहता हूँ”, से “मुझे यह करना है” में बदल जाती है, तब बहुत मुश्किल हो जाता है| ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए? जब मैं सेवा करता हूँ, तब मुझे यह होता है?
श्री श्री रविशंकर: प्रतिबद्धता आवश्यक है| प्रतिबद्धता के बिना जीवन में कोई स्थिरता, कोई खुशी और कोई प्रगति नहीं होती है| यदि आप प्रतिबद्ध हैं तो आपके जीवन में स्थिरता, खुशी और प्रगति आ जाएगी|
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